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बेमतलब एक्शन और ड्रामा वाली पुरानी फॉर्मुला फिल्मों की तरह है ‘भैय्याजी सुपरहिट’..

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ये कहानी है बनारस में रहने वाले डॉन देवी दयाल दुबे उर्फ थ्रीडी उर्फ भईया जी यानि सनी देओल की जिसके ख़ौफ़ के आगे पूरा बनारस कांपता है मगर वो खुद लाचार है अपनी बीवी सपना दुबे यानि प्रीति ज़िटा के आगे जो उसे एक बड़ी वजह से छोड़कर चली जाती है.
भईया जी का एक दुश्मन है हेलिकॉप्टर मिश्रा यानि जयदीप अहलावत जो बनारस का डॉन बनना चाहता है. भईया जी अपनी बीवी सपना को वापस लाने के लिए हर जतन करते हैं लेकिन बीवी नहीं आती…फिल्म में एक ड्रमैटिक मोड़ आता है और भैय्याजी पत्नी को वापस लाने के लिए फिल्म बनाने का फैसला करते हैं जिसका डायरेक्टर है गोल्डी कपूर यानि अरशद वारसी और राइटर है पॉर्नो घोष यानि श्रेयस तलपड़े…फिल्म की शूटिंग शुरु हो जाती है और फिर क्या-क्या नाटक होता है बस यही कहानी है फिल्म भईया जी सुपरहिट की.

इस फिल्म की कहानी शुरु के आधे घंटे में समझ आ जाती है और फिर बस आप फिल्म के खत्म होने का इंतजार करते हैं. उटपटांग एक्शन और फिल्म में कुछ ज्यादा ही ड्रामा है जो नए दर्शकों के लिए किसी टॉर्चर के कम नहीं.फिल्म में अगर एक्टिंग की बात करें तो सनी पाजी ने बाजी मारी है. उन्होंने कॉमेडी हो या एक्शन सीन या बनारस का लहजा उसे खूब पकड़ा है लेकिन लगता है ये अदा फिल्म को कोई फायदा पहुंचा पायेगी. प्रीती जिंटा ने लाउड एक्टिंग की है जो नकली लगता है तो अरशद और श्रेयस ने खूब रंग जमाया है, इन दोनों की कॉमेडी ही फिल्म को थोड़ा बचा लेती है. बाकी के किरदार भी ठीक ठाक हैं.

फिल्म में तकनीक पुरानी और साउथ फिल्मों के हिसाब की है, कैमरा वर्क एडिटिंग सभी किसी पुरानी मसाला फिल्म जैसा लगते हैं. सगीत चौंकाता है, फिल्म का म्यूजिक काफी अच्छा है…डायरेक्शन की बात करें तो ऐसा लगता है डायरेक्टर नीरज पाठक ने ढ़ेर सारी साउथ की मसाला फिल्में देखकर एक कहानी बुन दी जो आज के दौर की कहीं से भी नहीं लगती.

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