शुक्रवार को सुबह से ही गुरुद्वारों में लोगों की भीड़ देखने को मिली. यहां अरदास और लंगर के बाद शाम को सत्संग हुआ. दरअसल गुरु नानक का अवतरण संवत् 1526 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था. इस दिन को प्रकाश पर्व के रूप में मनाया जाता है. गुरु नानक ने सिख धर्म की स्थापना की थी. पूरे देश में गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा के दिन बड़े ही उत्साह के साथ मनाई जाती है.
शहर में गुरुनानक जयंती के मौके पर सभी गुरुद्वारों को खास तरीके सजाया गया. गौरतलब है कि गुरूनानक देव सिखों के आदिगुरु हैं. गुरु नानक देव दार्शनिक, योगी, गृहस्थ, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबंधु थे. नानक देव ने समाज में फैली कुरीतियों को खत्म करने के लिए अनेक यात्राएं की थीं. सभी सिख बंधुओं के लिए यह प्रकाश पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है. गुरू नानक देव को न केवल सिख धर्म के अनुयायी बल्कि पूर देश में लोग आस्था से पूजते हैं.