यह हिन्दू पंचांग का नौवां महीना है. इसे अग्रहायण या अगहन का महीना भी कहते हैं. इसे हिन्दू शास्त्रों में सर्वाधिक पवित्र महीना माना जाता है. यह इतना पवित्र है कि भगवान गीता में कहते हैं कि – महीनों में, मैंमार्गशीर्ष हूं. इसी महीने से सतयुग का आरम्भ माना जाता है.
कश्यप ऋषि ने इसी महीने में कश्मीर की रचना की थी. इस महीने को जप तप और ध्यान के लिए सर्वोत्तम माना जाता है. इस महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना विशेष फलदायी होता है. इस बार मार्गशीर्ष का महीना 24 नवंबर से 22 दिसंबर तक रहेगा.
मार्गशीर्ष महीने में किस-किस तरह के लाभ होते हैं?
इस महीने में मंगलकार्य विशेष फलदायी होते हैं.
इस महीने में श्रीकृष्ण की उपासना और पवित्र नदियों में स्नान विशेष शुभ होता है.
इस महीने में संतान के लिए वरदान बहुत सरलता से मिलता है.
साथ ही साथ चन्द्रमा से अमृत तत्व की प्राप्ति भी होती है.
इस महीने में कीर्तन करने का फल अमोघ होता है.
मार्गशीर्ष के महीने में किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
इस महीने में तेल की मालिश बहुत उत्तम होती है.
इस महीने से स्निग्ध चीज़ों का सेवन आरम्भ कर देना चाहिए.
इस महीने में जीरे का सेवन नहीं करना चाहिए.
इस महीने से मोटे वस्त्रों का उपयोग आरम्भ कर देना चाहिए.
इस महीने से संध्याकाल की उपासना अवश्य करनी चाहिए.
मार्गशीर्ष के महीने से कैसे चमकाएं किस्मत?
इस महीने में नित्य गीता का पाठ करें.
जहां तक संभव हो भगवान कृष्ण की उपासना करें.
तुलसी के पत्तों का भोग लगाएं और उसे प्रसाद की तरह ग्रहण करें.
पूरे महीने “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें.
अगर इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान का अवसर मिले तो अवश्य करें.