Home धर्म/ज्योतिष कब है भैरव अष्टमी इन उपायों के करने से होगा लाभ…

कब है भैरव अष्टमी इन उपायों के करने से होगा लाभ…

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29 नवंबर, 2018 गुरुवार के दिन भैरव अष्टमी है. इस दिन काल भैरव का जन्म हुआ था. उन्हें प्रसन्न करने के यह 10 उपाय आजमाएं. घर से हर तरह की नकारात्मक शक्ति दूर होगी. चारों तरफ से खुशियों भरे समाचार आने लगेंगे.

रविवार, बुधवार या बृहस्पतिवार के दिन एक रोटी पर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर लाइन खींचें. इस रोटी को किसी दो रंग वाले कुत्ते को खिलाएं. कुत्ते के यह रोटी खाने पर मान लें आपको भैरव नाथ का आशीर्वाद मिला है. यदि कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाए तो इसी तरह रोजाना रोटी डालते रहे.

उड़द की दाल के पकौड़े शनिवार की रात को सरसों के तेल में बनाएं. रातभर उन्हें रखने के बाद सुबह बिना किसी के टोके घर से निकलें. रास्ते में जो पहला कुत्ता दिखाई दें उसे पकौड़े खाने को दें. ध्यान रखें कि पकौड़े खिलाने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें. इस उपाय को काल भैरव जयंती या रविवार के दिन ही किया जाता है.

शहर के किसी ऐसे भैरव मंदिर में जाएं, जिसमें कम ही लोग जाते हो. रविवार की सुबह सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी लेकर वहां जाएं. भैरव नाथ का पूजन करें. इसके बाद 5 से 7 साल तक के लड़कों को चने-चिरौंजी, तेल, नारियल, पुए और जलेबी का उन्हें प्रसाद दें. ध्यान रखें जिनकी कोई पूजा नहीं करता ऐसे भैरव की पूजा करने से भैरवनाथ बहुत जल्दी कामना पूरी करते हैं. किसी कोढ़ी, भिखारी को मदिरा दान करें. भैरव नाथ को मदिरा का भोग लगाया जाता है. इसलिए यह उनके निमित्त ही करें.

बुधवार या काल भैरव जयंती के दिन सवा किलो जलेबी भैरव नाथ को चढ़ाएं. जलेबी का एक भाग कुत्तों को खिलाएं. शनिवार या काल भैरव जयंती के दिन कड़वे तेल में पापड़, पकौड़े, पुए आदि पकवान तलें. एक दिन उन्हें रखकर रविवार को या अगले दिन गरीब बस्ती में जाकर बांट दें. रविवार, शुक्रवार या काल भैरव जयंती के दिन किसी भैरव मं‍दिर में चंदन, गुलाब और गुगल की खुशबूदार 33 अगरबत्तियां जलाएं.

5 नींबू, 5 गुरुवार या काल भैरव जयंती के दिन भैरव नाथ को चढ़ाएं. ऐसा करने वाले व्यक्ति पर काल भैरव की विशेष कृपा बरसती है. बुधवार या काल भैरव जयंती के दिन सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा 11 रुपए, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा मीटर काले कपड़े में एक पोटली बनाकर भैरव नाथ के मंदिर में चढ़ाएं. काल भैरव के मंदिर जाकर भगवान काल भैरव की आरती करें. उन्हें पीले रंग की ध्वज चढ़ाएं.

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