जम्मू-कश्मीर विधानसभा भंग किये जाने पर सूबे के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने दिल्ली की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मुझ पर सज्जाद लोन की सरकार बनाने का दबाव था. मैं बेईमानी नहीं करना चाहता था, मुझे गाली पड़े तो पड़े.
श्रीनगर में एक कार्यक्रम में राज्यपाल मलिक ने कहा, ”दिल्ली की तरफ देखता तो सज्जाद लोन की सरकार बनानी पड़ती. मैं नहीं चाहता इतिहास में मुझे बेईमान इंसान के तौर पर याद किया जाए. मैंने मामले को ही खत्म कर दिया है. अब गाली की परवाह नहीं है. मैं संतुष्ट हूं कि मैंने जो किया सही किया.जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के दावों के बीच 21 नवंबर को राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दिया था. महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा फैक्स के जरिए पत्र भेजकर किया था.
जिसके ठीक बाद बीजेपी के समर्थन से पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था. पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस ने उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन देने का फैसला किया है. जिसके बाद लोन ने 18 विधायकों के साथ बीजेपी के 25 विधायकों की मदद से सरकार बनाने का दावा पेश किया और कहा कि यह बहुमत से अधिक है. सूबे में सरकार बनाने के लिए 44 विधायकों की जरूरत होती है.
मुफ्ती ने अपने पत्र में लिखा कि उनकी पार्टी के 29 विधायकों के अलावा नेशनल कांफ्रेंस के 15 और कांग्रेस के 12 विधायकों को मिलाकर उनकी संख्या 56 हो जाती है. 87 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बीजेपी के 25 (सभी जम्मू से) विधायक हैं.
सरकार बनाने के दावों के बाद राज्यपाल ने विधानसभा भंग किया था. उन्होंने कहा था कि मैंने सदन को भंग करने का निर्णय लिया क्योंकि इन पार्टियों के विधायक खरीद-फरोख्त में संलिप्त थे. मैं बीते 15-20 दिनों से विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबरें सुन रहा था. मुझे खरीद-फरोख्त, विधायकों को धमकाने की रिपोर्ट प्राप्त हो रही थी. अगर मैं किसी को भी सरकार बनाने का अवसर देता, तो खरीद-फरोख्त और ज्यादा बढ़ जाती और राज्य की पूरी राजनीतिक, न्यायिक प्रणाली बर्बाद हो जाती.विधानसभा भंग किये जाने के फैसले का बीजेपी ने स्वागत किया था. वहीं पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने राज्यपाल के फैसले की जमकर आयोचना की थी. पार्टी का दावा था कि राज्यपाल ने अलोकतांत्रिक कदम उठाया है.