राम मंदिर के मुद्दा लोकसभा चुनाव से पहले गर्माता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे की सुनवाई टलने के बाद से ही कई हिंदू संगठनों ने नाराजगी व्यक्त की है. RSS प्रमुख मोहन भागवत से लेकर अन्य नेताओं ने इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द करने की पैरवी की है. मंगलवार को भी RSS के सदस्य इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को लेकर बयान दिया, जिस पर विवाद गहरा सकता है. पंजाब के चंडीगढ़ में चल रहे एक कार्यक्रम के दौरान इंद्रेश कुमार ने कहा, ”भारत का संविधान जजों की बपौती नहीं है, क्या वो कानून से भी ऊपर हैं.” आपको बता दें कि इंद्रेश कुमार चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में चल रहे ‘जन्मभूमि से अन्याय क्यों’ कार्यक्रम में बोल रहे थे.उन्होंने कहा कि राम जन्म स्थान बदलने की इजाजत क्यों दी गई. जब वेटिकन, काबा और स्वर्ण मंदिर नहीं बदले जा सकते तो राम जन्मभूमि कैसे बदली जा सकती है.
उन्होंने कहा कि मस्जिद बनाने की अपनी शर्तें हैं, बाबर को किसी ने जमीन दान में नहीं दी. बाबर ने जमीन किसी से खरीदी नहीं, वहां राम मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई वहां कोई मस्जिद नहीं थी और अगर तोड़कर मस्जिद बनाई गई तो वो गुनाह है और वहां की गई इबादत स्वीकार नहीं होगी लेकिन बाबर ने कोई इस्लाम का नियम नहीं माना.
संघ नेता बोले कि बाबर ने इस्लाम और कुरान शरीफ का अपमान किया, क्या मुसलमान उस बाबर की इबादत करना चाहेंगे. इस्लाम के मुताबिक, मस्जिद किसी इंसान या शहंशाह के नाम पर नहीं हो सकती लेकिन बाबर ने मुसलमानों से अल्लाह का नाम छीन लिया और अपना नाम मस्जिद को दे दिया. इंद्रेश कुमार ने कहा कि जो विदेशी आक्रमणकारी आए, उनसे हमारा क्या रिश्ता? वो हमें गुलाम बनाने आए थे. उन्होंने कहा कि इस्लामी शासकों ने देश के कुशल कारीगारों के हाथ काट दिए और किसी इंडस्ट्री के लिए कुछ नहीं किया.
संघ नेता बोले कि शहंशाह ताजमहल के साथ कोर्ट या इंडस्ट्री भी बनवा सकता था. बाबर भी हम पर राज करने आया था, फैजाबाद को अयोध्या करने से रोजगार नहीं मिला, लेकिन क्या अयोध्या को फैजाबाद करने से रोजगार मिला क्या.गौरतलब है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है, अक्टूबर में इस मसले की आखिरी सुनवाई हुई थी जिसके बाद कोर्ट ने इस मसले को जनवरी, 2019 तक के लिए टाल दिया था.
मामले की सुनवाई टलने के बाद से ही संघ का रुख इस पर आक्रामक हुआ है. संघ प्रमुख मोहन भागवत पहले भी कह चुके हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट कहता है कि राम मंदिर का मुद्दा उसकी प्राथमिकताओं में से एक नहीं है तो यह हिंदुओं का अपमान है. बता दें कि 25 नवंबर को ही विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में धर्म सभा का आयोजन किया, इसके जरिए केंद्र सरकार पर राम मंदिर निर्माण के लिए कानून लाने के लिए दबाव बनाया गया. धर्म सभा में मोहन भागवत भी शामिल हुए थे, जहां उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को कानून या अध्यादेश लाकर राम मंदिर का निर्माण तुरंत शुरू करना चाहिए.