सामान्य स्थिति में साल में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं. इन एकादशियों को ग्यारस भी कहते हैं, लेकिन मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी सबसे अनोखी मानी जाती है, क्योंकि इसी दिन एकादशी का जन्म हुआ था.
मान्यताएं बहुत हैं लेकिन कुछ बातों पर गौर करें तो इनमें गहरी सच्चाई भी है. इस एक व्रत से ऐश्वर्य, संतान, मुक्ति और मोक्ष की कामना भी पूरी की जा सकती है. इस बार उत्पन्ना एकादशी 3 दिसंबर को है.
एकादशी व्रत कोई भी व्यक्ति कर सकता है. इस दिन व्रत करने से भक्तजनों को सभी तरह के पापों मुक्ति मिल जाती है. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु ने राक्षस मुरसुरा को मारा था और इसी दिन श्रीहरि विष्णु से देवी एकादशी उत्पन्न हुई थीं. यहीं से एकादशी व्रत का आरंभ माना गया है. कहते हैं जो व्यक्ति पूर्ण निष्ठा से ये व्रत करता है उसे संसार के सभी कष्टों से श्रीहरि मुक्ति दिलाते हैं.
एकादशी व्रत के दिन क्या नहीं करना चाहिए?
तामसिक आहार पूरे दिन नहीं करना है.
किसी से भी बुरा व्यवहार नहीं करना है.
पूरे दिन बुरे विचारों से भी दूर रहें.
प्रभु विष्णु को अर्घ्य दिए बिना दिन की शुरुआत न करें.
केवल हल्दी मिले हुए जल से ही अर्घ्य दें.
अर्घ्य के लिए रोली या दूध का इस्तेमाल न करें.
सेहत ठीक न हो तो उपवास न रखें.
सेहत ठीक न होने पर केवल बाकी नियमों का पालन करें.
भगवान कृष्ण को फल चढ़ाएं.
श्री कृष्ण को तुलसी दल और पंचामृत अर्पित करें.
इसके बाद ‘क्लीं कृष्ण क्लीं’ का जाप करें.
भगवान से कामना पूर्ति की प्रार्थना करें.