राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) के तहत उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए विधानसभा के शीत सत्र में हायर एजूकेशन काउंसिल बिल पेश किया जाएगा। शिक्षा पद्धति में सुधार लाने और केंद्र से बजट लाने के लिए काउंसिल गठित करने का फैसला लिया गया है। मंत्रिमंडल से काउंसिल को मंजूरी मिल चुकी है। अब विधानसभा में बिल लाया जाएगा।
किसी शिक्षाविद् को काउंसिल का अध्यक्ष बनाया जाएगा। काउंसिल में शिक्षा मंत्री भी शामिल होंगे। प्रदेश भर के सभी सरकारी और निजी कॉलेज, विश्वविद्यालय हायर एजूकेशन काउंसिल के दायरे में आएंगे। सभी शिक्षण संस्थानों में समितियां बनाई जाएंगी। राज्यों के सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों पर हायर एजूकेशन काउंसिल का नियंत्रण रहेगा। शिक्षण संस्थानों में बोर्ड ऑफ गवर्नेंस और प्रोजेक्ट मानीटरिंग यूनिट गठित होंगे। काउंसिल में चेयरमैन के अलावा मुख्य कार्यकारी, स्टेट प्रोजेक्ट ऑफिसर सहित 10 से 25 सदस्य होंगे। स्वास्थ्य शिक्षा, इंजीनियरिंग शिक्षा, नर्सिंग शिक्षा, आर्किटेक्चर शिक्षा, विधि शिक्षा और तकनीकी शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों को भी काउंसिल के दायरे में लाया जाएगा।
ये काम करेगी काउंसिल
प्रदेश में रूसा के क्रियान्वयन को लेकर रणनीति और योजना तैयार करना
मूल्यांकन और निगरानी करना
शैक्षणिक सुविधाएं गुणवत्तापूर्ण तरीके से मुहैया करवाना
दिशा निर्देश और सलाह देना
रूसा के तहत फंडिंग कार्य करनासूबे में चिटफंड कंपनियों पर अंकुश लगाने के लिए जयराम सरकार सख्त कानून ला रही है। इसके लिए विधानसभा के शीत सत्र में संशोधन बिल लाया जा रहा है। जिसके पारित होने पर कंपनियों को ऑपरेट करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा बिल में निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामलाें को गैर जमानती अपराध करने का प्रावधान होगा। कंपनी की संपत्ति कुर्क कर निवेशकों को पैसे लौटाने की व्यवस्था की जाएगी। प्रदेश का वित्त विभाग भारतीय रिजर्व बैंक के आदेशों के बाद जमाकर्ता के हितों को ध्यान में रखते हुए जमाकर्ता संरक्षण संशोधन बिल-2016 में फिर से बदलाव कर इसका मसौदा तैयार कर रहा है। इस संशोधन बिल के पारित होने से वित्तीय निवेशकों को सुरक्षा कवच मिल सकेगा।
मानसून सत्र में प्रदेश सरकार ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ लाए बिल को वापस लिया था। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ओर से पांच अप्रैल 2016 को भेजे गए हिमाचल प्रदेश जमाकर्ता संरक्षण संशोधन बिल-2016 को राष्ट्रपति कार्यालय ने कुछ कमेंट्स कर लौटा दिया था। उस दौरान मुख्यमंत्री ने सदन में बताया था कि बिल में कुछ आपत्तियाें के चलते बिल वापस लिया जा रहा है। वित्त विभाग के सचिव अक्षय सूद ने कहा कि आरबीआई ने चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सख्त कानून बनाने के निर्देश दिए हैं। इसी के तहत बिल तैयार किया जा रहा है।