उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा के मामले में जिले के एसएसपी कृष्ण बहादुर सिंह, चिंगरावठी पुलिस चौकी के प्रभारी सुरेश कुमार और सीओ सत्या प्रकाश शर्मा का तबादला कर दिया गया है. इस हिंसा के मामले में एक पुलिस इंस्पेक्टर सहित एक अन्य शख्स की मौत हो गई थी. गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि खेत में कुछ हिंदूवादी संगठनों के कायकर्ताओं द्वारा गोवंश के अवशेष मिलने के बाद बिगड़ी स्थिति को संभालने में नाकाम रहने की वजह से इन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है.
इस भीड़ हिंसा में पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह और चिंगरावठी गांव के रहने वाले सुमित सिंह की मौत हो गई थी. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ओ.पी.सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक के बाद यह फैसला लिया गया. डीजीपी ने इस मामले की रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी थी.
इस बीच योगी आदित्यनाथ ने बुलंदशहर की इस घटना को दुर्घटना बताया है. उन्होंने पहले कहा था कि यह घटना एक बहुत बड़ी साजिश थी लेकिन शुक्रवार को दिल्ली में एक मीडिया कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि यह घटना वास्तव में एक दुर्घटना थी. उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में कोई मॉब लिंचिंग की घटना नहीं हुई है. बुलंदशहर में जो हुआ, वो एक दुर्घटना थी.” पुलिस ने नौ आरोपियों को गिरफ्तार किया है लेकिन मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा योगेश राज गिरफ्त से बाहर है.
इंस्पेक्टर की हत्या के मामले के आरोपी सैन्यकर्मी की गिरफ्तारी के लिए एक पुलिस की एक टीम जम्मू-कश्मीर भेजी गई है. इस मामले में पांच और अभियुक्तों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) एसके भगत ने बताया कि तीन दिसंबर को पुलिस निरीक्षक सुबोध सिंह की हत्या के मामले में जीतू नामक सैन्यकर्मी नामजद अभियुक्त है. प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक वह जम्मू कश्मीर में तैनात है. पुलिस की एक टीम वहां गई है और उम्मीद है कि जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा.