ऊना। केंद्र सरकार की मिड-डे मील के तहत अगर किसी स्कूल में विद्यार्थियों को दोपहर का भोजन सही तरीके से नहीं मिल रहा है या फिर भोजन को पौष्टिक आहार के रूप मे नहीं बनाया जा रहा है तो अभिभावक विद्यालय में मिड-डे मील की जांच कर सकते हैं। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से मिड-डे मील योजना के तहत अतिथि भोजन की विशेष गाइड लाइन जारी की है। इसके तहत अभिभावक स्कूल में बनने वाले मिड-डे मील चखकर उसकी जांच कर सकते हैं। इसके साथ ही अगर विद्यार्थियों को मिड-डे मील के लिए क्लास रोल नंबर के हिसाब से नहीं बिठाया गया है या फिर विद्यार्थियों में किसी प्रकार का भेदभाव किया जा रहा है।
इस मुद्दे पर अभिभावक शिक्षा विभाग और प्रशासन से विशेष जांच की मांग कर सकते हैं। शिक्षा विभाग और सरकार की अतिथि भोजन गाइडलाइन के तहत ग्राम पंचायत सदस्य, स्कूल प्रबंधन समिति, शिक्षा विभाग की खंड स्तरीय व जिला स्तरीय कमेटी सहित विद्यार्थियों के अभिभावक भी स्कूल में बनने वाले मिड-डे मील की जांच कर सकते हैं। वहीं, मिड-डे मील के जिला कोअर्डिनेटर अतुल शर्मा ने बताया कि अतिथि भोजन के तहत अभिभावक भी स्कूलों में मिड-डे मील की जांच कर सकते हैं। वे मिड-डे मील की गुणवत्ता और स्वच्छता न होने पर जांच की मांग कर सकते हैं।
अभिभावक ला सकते हैं सुधार मिड-डे मील बनाने में लापरवाही बरतने और स्वच्छता न रखने पर स्कूल प्रबंधन पर अभिभावक शिकंजा कस सकते हैं। मिड-डे मील खाने से अगर विद्यार्थी बीमार होते हैं या उनके स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार की कमी पाई जाती है तो उसकी जानकारी सर्वप्रथम अभिभावकों को होती है। इसके चलते अगर अभिभावक लापरवाह स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं तो मिड-डे मील गुणवत्ता में ज्यादा सुधार होगा….