उन्होंने कहा कि एक जनवरी 2015 से 13 दिसंबर 2017 तक प्रदेश भर में विभिन्न रोजगार कार्यालयों में 8422 भूतपूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों ने रोजगार के लिए पंजीकरण करवाया है। इनमें से 689 को रोजगार मिला है, जबकि 7753 मामले अभी लंबित पड़े हैं।प्रदेश भर में खैर की लकड़ी से अब फर्नीचर भी बनेगा। वहीं सरकारी भवनों और वन विभाग के फर्नीचर उद्योग में भी खैर की लकड़ी का प्रयोग किया जाएगा। इसके अलावा टीडी के तहत भी खैर की लकड़ी को स्वीकृति मिलेगी।
शीत सत्र में ज्वालामुखी के विधायक रमेश ध्वाला के प्रश्न के जबाव में वन मंत्री गोबिंद सिंह ठाकुर ने कहा कि हालांकि एकमुश्त खैर की लकड़ी को ईमारती लकड़ी के रूप में प्रयोग करना संभव नहीं है, लेकिन वन विभाग और वन निगम के संयुक्त तत्वावधान में इसका कार्य किया जा रहा है।कोर्ट के आदेशानुसार प्रदेश के पांवटा साहिब वन मंडल के पांवटा साहिब वन परिक्षेत्र, बिलासपुर वन मंडल के भराड़ी वन परिक्षेत्र और नूरपुर वन मंडल के नूरपुर परिक्षेत्र में साल, चीड़ और खैर की लकड़ी का दोहन प्रयोगात्मक तौर पर करने की प्रक्रिया चल रही है। इससे प्राप्त आंकड़ों के आधार पर प्रदेश को इससे होने वाले आर्थिक लाभ का आकलन किया जा सकेगा, वहीं ज्वालामुखी के विधायक रमेश ध्वाला ने कहा कि कांगड़ा, ऊना, हमीरपुर और चंबा में भी
खैर के पेड़ों की खासी पैदावार होती है। वन क्षेत्रों में सूखे, टूटे और क्षतिग्रस्त खैर के पेड़ों को रिकॉर्ड समय पर इसकी लकड़ी निकालकर इससे प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ करने का सुझाव दिया थाशीत सत्र के पहले दिन हमलावर रहे विपक्ष ने सदन के भीतर बाहर दोनों ही जगह हमला किया। नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री के हमलों के बाद पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी सत्तापक्ष को जमकर लताड़ा। वीरभद्र ने 11 महीने बाद भी सरकारी स्कूलों के बच्चों को स्कूल वर्दी न दे पाने पर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाए। यही नहीं, उन्होंने स्कूल वर्दी दे पाने में नाकाम रहे शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज को मंत्री पद से इस्तीफा देने की बात कही।
कहा कि साल भर बाद भी बच्चों को वर्दी न दे पाना जयराम सरकार की नाकामी है। वहीं, उन्होंने अपने खिलाफ चल रहे आय से अधिक संपत्ति के मामले में सोमवार को पटियाला हाउस कोर्ट में आरोप तय होने पर कहा कि भाजपा कांग्रेस के सभी नेताओं पर फर्जी मामले बनाकर उन्हें फंसाने का प्रयास कर रही है। यह मामला भी भाजपा की उसी साजिश का हिस्सा है। कहा कि मामला कोर्ट में है और वह इसे कोर्ट मेें लड़ेंगे और जीतेंगे।वर्मिन घोषित करने के बाद हिमाचल में 15 नवंबर तक पांच बंदरों को मारा गया है। सिरमौर के रेणुकाजी में 4 और सोलन के कुनिहार में 1 बंदर को मारा गया है। वन एवं पर्यावण मंत्रालय भारत सरकार की ओर से 14 मार्च 2016 को जारी अधिसूचना के तहत शिमला नगर निगम के सीमा क्षेत्र में वन क्षेत्र को छोड़कर बंदरों को 6 माह के लिए वर्मिन घोषित किया गया था।
इसके बाद 24 मई को जारी अधिसूचना के तहत प्रदेश के 10 जिलों चंबा, कांगड़ा, ऊना, बिलासपुर, शिमला, सिरमौर, कुल्लू, हमीरपुर, सोलन और मंडी की 38 तहसीलों-उप तहसीलों में एक वर्ष के लिए बंदरों को वर्मिन घोषित किया गया था। 20 दिसंबर 2017 को इन अधिसूचनाओं की अवधि को एक वर्ष 20 दिसंबर 2018 तक बढ़ा दिया गया। सरकार ने यह जानकारी किन्नौर से विधायक जगत सिंह नेगी के प्रश्न के जवाब में दी।
शिमला से चंडीगढ़ के अलावा हिमाचल के अन्य शहरों में हेली टैक्सी सेवा शुरू की जाएगी। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सुक्खू के प्रश्न के जवाब में सरकार ने यह जानकारी दी है। सरकार ने कहा कि अन्य शहरों को भी हेली टैक्सी सेवा से जोड़ा जाएगा। शिमला से चंडीगढ़ के लिए हेली टैक्सी सेवा 4 जून से शुरू की गई है। शुरू में सुविधा का लाभ लेने वाले यात्रियों के लिए प्रति सीट 2999 रुपये किराया तय किया गया था। इसके बाद 6 जुलाई को किराया बढ़ाकर 3499 रुपये किया गया था। 4 जून से 5 अक्तूबर तक 385 यात्री हेली टैक्सी सेवा का लाभ ले चुके हैं।प्रदेश में बनने वाले नेशनल हाईवे का काम अब मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली कमेटी की निगरानी में होगा। इसके लिए शीघ्र ही प्रदेश में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाएगी, जो एनएच को लेकर पहाड़ों पर होने वाली खुदाई से लेकर इसके अन्य कार्यों की गुणवत्ता की जांच करेगी।
सोमवार को विस के शीत सत्र में अमर उजाला में चमुखा में फोरलेन के गिर रहे डंगों से हादसों का खतरा शीर्षक से प्रकाशित खबर पर विधायक राकेश जंवाल के चर्चा के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि पूर्व में एनएच के लिए ठेकेदारों ने अवैज्ञानिक तरीके से खुदाई की है। इससे पहाड़ी क्षेत्र में भूस्खलन की स्थिति बनी है। इतना ही नहीं, कई स्थानों पर भूस्खलन होने से नुकसान भी हुआ है। ठेकेदारों की इस कारगुजारी का मामला केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष भी रखा गया है। इसके अलावा एनएचएआई के अधिकारियों को भी इस मामले में कार्रवाई को कहा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बरसात के मौसम में हुई भारी बारिश के कारण चमुखा में भूस्खलन से आए मलबे को हटाने का काम नहीं किया गया है। यदि वहां से मलबा हटाया जाता तो पहाड़ी से ओर भी मलबा नीचे आ जाता। एनएच पर मलबा होने से इसका एक किनारा अभी भी बंद पड़ा है। शीघ्र ही वहां से मलबा हटाकर इसे खोल दिया जाएगा।