कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दावा किया कि मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं नियुक्त किए जाने पर उन्हें कोई पछतावा नहीं है. साथ ही कहा कि उन्होंने वही स्वीकार किया, जो पार्टी हाई कमांड ने करने के लिए कहा था. एनडीटीवी से विशेष बातचीत में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि आप जो भी बोलते हैं, उसी का अभ्यास करना जीवन में महत्वपूर्ण होता है और मैंने कहा था कि मैं इस मामले में कांग्रेस हाई कमांड के फैसले को ही मानूंगा. साथ ही उन्होंने कहा कि उनके बजाय जब पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया, तब उन्होंने विरोध नहीं किया. हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह बताने से इनकार कर दिया कि उन्हें उपमुख्यमंत्री की भूमिका का प्रस्ताव मिला था या नहीं. उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह सकता हूं. मैं पहले से ही संसद में अपनी पार्टी का मुख्य व्हिप हूं और मुझे कुछ और दिया जाना चाहिए होगा, तो यह नेतृत्व तय करेगा. व्यक्तिगत तौर पर आप इस काम के लिए कमरकस कर तैयार रह सकते हो और पार्टी को मजबूती दे सकते हो.
कांग्रेस नेता सिंधिया ने इस सवाल से भी किनारा कर लिया कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपने इस दावे के बाद कि वह अपनी निगरानी में युवा नेतओं को ज्यादा तवज्जो देंगे, बावजूद इसके उन्होंने पुराने नेता को ही चुना. हालांकि, सिंधिया ने कहा कि मुझे लगता है कि यहां क्षमता महत्वपूर्ण कारक है, उम्र या अनुभव नहीं और मेरे पिता की तरह ही, मुझे किसी भी पद की भूख नहीं है.
क्या इस चुनावी कामयाबी पर आरामतलब होना क्या कांग्रेस के लिए अभी नुकसानदायक होगा? इस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सबसे बड़ा नुकसान तब होता है जब आप सोचते हैं कि कोई भी चुनाव आप आसानी से जीत लेंगे. देखें बीजेपी के साथ क्या हुआ? वे सोतचे थे कि वे काफी पावरफुल हैं, मगर हमने उनसे तीन हिंदी भाषी तीन राज्य जीत लिए. उन्होंने यह भी कहा कि 2013 में जो मोदी थे, वह मोदी अब 2018 में नहीं हैं. आप एक समय तक कुछ लोगों को मूर्ख बना सकते हैं, आप सभी लोगों को कुछ समय तक मूर्ख बना सकत हैं, मगर आप सभी को हमेशा के लिए मूर्ख नहीं बना सकते हैं. यहां काम करना होता है. मुझे लगता है कि लोगों ने कई मायाजालों और जुमलाओं के माध्यम से देखा है कि बीजेपी ने लोगों से क्या वादा किया.
बता दें कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 114 सीटें जीती हैं, जिसका परिणाम 11 दिसंबर को आया. हालांकि, सपा और बसपा और निर्दलीय के समर्थन से कांग्रेस ने बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया. बता दें कि यहां बहुमत के लिए 116 सीटों की जरूरत थी