लोकसभा चुनाव से पहले हिंदी पट्टी के तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सत्ता गंवाने के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अध्यक्ष अमित शाह ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यह सही है कि तीनों राज्यों के चुनाव परिणाम बीजेपी के पक्ष में नहीं रहे, लेकिन इसे 2019 लोकसभा चुनाव से जोड़ना ठीक नहीं है.
मुंबई में एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए अमित शाह ने कहा, ”राज्यों के चुनाव अलग मुद्दों पर लड़े जाते हैं और लोक सभा के चुनाव अलग मुद्दों पर. 2019 का चुनाव 2014 से पहले और बाद का भारत के मुद्दे पर होने जा रहा है.”
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा, ‘‘2014 में बीजेपी की छह राज्यों में सरकार थी और अब हमारी सरकार 16 राज्यों में है. तो अब बताइये कि 2019 के चुनाव कौन जीतेगा.” उन्होंने कहा, “हम जनादेश (राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में) स्वीकार करते हैं. हम चुनाव परिणामों पर आत्ममंथन करेंगे.”उन्होंने कांग्रेस और अन्य पार्टियों के गठबंधन पर कहा कि महागठबंधन देश भर में कहीं भी अस्तित्व में नहीं है. महागठबंधन एक प्रकार की भ्रान्ति है क्योंकि ये सारे रीजनल लीडर है. ये नेता अपने राज्य से अलग वोट नहीं मांग सकते हैं. उन्हें समर्थन नहीं मिलेगा.
अमित शाह ने कहा, ”नरेंद्र मोदी के विरोध में महागठबंधन हो या क्या हो इससे हमें कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला है. क्योंकि हम नरेंद्र मोदी की ताकत पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं किसी की कमजोरी पर नहीं.”शाह ने कहा कि विपक्षी दलों का गठबंधन पहले यह तय कर ले कि नेता कौन होगा. उन्होंने कहा कि चुनाव हमारे लिए सिर्फ सरकार बनाने का जरिया नहीं है. हम चुनाव को लोक संपर्क का एक माध्यम मानते हैं.
राम मंदिर के लिए उठ रही कानून की मांग पर अमित शाह ने कहा कि 130 साल पुराना मामला है. बीजेपी मानती है कि उसी जगह पर राम मंदिर बनना चाहिए, यही जनता भी चाहती है. दोनों वकीलों ने दलील रखी कि जल्द से जल्द सुनवाई होनी चाहिए. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने एक पक्षकार की तरफ से कहा कि चुनाव के बाद सुनवाई हो. सुप्रीम कोर्ट में जनवरी में सुनवाई होगी