सोडियम ग्लूकामेट या मोनोसोडियम ग्लूटामेट अधिकतर खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल किया जाता है. रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले भोजन में भी इस सफेद पदार्थ का जमकर इस्तेमाल होता है क्योंकि इससे भोजन का स्वाद बढ़ जाता है. कई खाद्य पदार्थों में यह प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है लेकिन प्रोसेस्ड फूड में यह अलग से मिलाया जाता है. सोडियम ग्लूटामेट सफेद क्रिस्टल पाउडर की तरह होता है और चीनी-नमक से बहुत मिलता-जुलता है.
मोनोसोडियम ग्लूटामेट (MSG) स्वाद बढ़ाने के लिए खाने की चीजों में डाला जाता है. भले ही यह भोजन का स्वाद बढ़ा देता हो लेकिन इसके ज्यादा सेवन से नर्व सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है. MSG कम मात्रा में लेने से सुरक्षित होता है लेकिन जिन लोगों को इससे एलर्जी हो, उनके लिए कम मात्रा में भी इसका सेवन खतरनाक हो सकता है. ध्यान देने वाली बात ये है कि चिप्स, पैकेज्ड सूप, कैन्ड फूड जैसे प्रोसेस्ड फूड में MSG ज्यादा मात्रा में मौजूद होता है. प्रोसेस्ड फूड पहले से ही नुकसानदायक होते हैं और MSG की वजह से और भी नुकसान पहुंचाता है. आगे कुछ भी खरीदने से पहले पैकेट पर चेक कर लें कि MSG मौजूद है या नहीं. अगर इन्ग्रेडिएंट में MSG लिखा हो तो उस चीज को खाने से बचें.
रसायनिक तौर पर प्राकृतिक तौर पर खाने में पाए जाने वाले एमएसजी और प्रोसेस्ड फूड में मौजूद MSG में कोई फर्क नहीं होता है. लेकिन प्रोसेस्ड फूड में ज्यादा मात्रा में MSG होने या दूसरे नुकसानदायक तत्वों की मौजूदगी की वजह से ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. यह कैन्ड फूड, सॉस, चिप्स, पैकेट बंद सूप, हॉट डॉग, बियर जैसी चीजों में होता है. इसके अलावा पनीर, टमाटर, मटर, वॉलनट्स, गेहूं में प्राकृतिक तौर पर मौजूद होता है. सोडियम ग्लूटामेट की ज्यादा खुराक को भूख बढ़ने, मोटापा व अन्य मेटाबॉलिक डिसऑर्डर से जोड़कर देखा जाता है.
सोडियम ग्लूटामेट के ज्यादा सेवन से माइग्रेन, सुस्ती, हार्मोन असंतुलन, उल्टियां, कमजोरी, सीने में दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इससे खाने का स्वाद बढ़ जाता है जिससे लोग ज्यादा खा लेते हैं. नतीजा मोटापा और ज्यादा वजन के रूप में सामने आता है. सोडियम ग्लूटामेट का ब्रेन कोशिकाओं पर ड्रग की तरह असर होता है. कई स्टडीज में बताया गया है कि खाने में सोडियम ग्लूटामेट की मात्रा बढ़ने से डायबिटीज के भी मामले बढ़े हैं.इसके ज्यादा सेवन से एड्रेनल ग्रंथि की क्रिया पर असर पड़ता है, हाई ब्लड प्रेशर, हाइपरटेंशन और स्ट्रोक जैसे खतरे भी सामने आते हैं.