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21-27 दिसंबर के बीच सिर्फ एक दिन खुले थे बैंक बैंक विलय की वजह से यूनियनों की थी हड़ताल आज खुले बैंक..

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सरकार के बैंकों के विलय की कोशिश का विरोध व कॉरपोरेट लोन की वसूली के लिए त्वरित कार्रवाई समेत अन्य कई मांगों को लेकर बुधवार को सरकारी बैंकों के कर्मचारी हड़ताल पर रहे. लंबी छुट्टियों और हड़ताल की वजह से लोगों को खासी परेशानी झेलनी पड़ी.  बैंक युनियनों का दावा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी प्राइवेट और कुछ विदेशी बैंक के करीब 10 लाख कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए. बैंकों में आज से कामकाज सामान्य हो जाएगा. ICICI बैंक, HDFC और एक्सिस बैंक समेत कुछ निजी क्षेत्र के बैंकों में कामकाज सामान्य रहा जबकि फेडरल बैंक, साऊथ इंडियन बैंक और करूर वैश्य बैंक बंद थे. हड़ताल की वजह से देश के कई भागों में एटीएम में नकदी नदारद रही और चेक क्लियरेंस भी खासा प्रभावित रहा.

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने हड़ताल के आह्वान पर एक हफ्ते से भी कम समय में यह दूसरी हड़ताल है. इससे पहले, 21 दिसंबर को बैंक अधिकारियों ने वेतन बढ़ोतरी को लेकर बातचीत की फाइनल स्टेज पर पहुंचाने और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रस्तावित विरोध को लेकर हड़ताल की थी. बता दें कि यूएफबीयू नौ बैंक यूनियनों का संगठन है. इसमें आल इंडिया बैंक आफिसर्स कन्फेडरेशन (एआईबीओसी), द आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन और नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स समेत अन्य यूनियन शामिल रहे.

एआईबीओसी के महासचिव सौम्या दत्ता ने कहा कि सरकार को विलय जैसे दुस्साहसी कामों के बजाय मौजूदा फंसे कर्ज की समस्या के कारणों का पता लगाना चाहिए. एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है कि बड़े बैंक मजबूत और अधिक दक्ष होते हैं. उन्होंने कहा कि लेहमैन ब्रदर्स जैसे बैंक के धाराशाही होने का विश्व गवाह है. विलय से संपत्ति या वित्त की गुणवत्ता नहीं सुधरेगी क्योंकि इससे कोई नई पुंजी नहीं आएगा. एक यूनियन-पदाधिकारी ने दावा किया कि हड़ताल के कारण केवल महाराष्ट्र, गोवा और गुजरात में दो लाख करोड़ रुपये मूल्य के चेक समाशोधन में अटक गए.

यूनियनों का दावा है कि विजया बैंक और देना बैंक का बैंक आफ बड़ौदा में विलय से बैंक और ग्राहक दोनों के हित प्रभावित होंगे. विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली इकाई का कारोबार 14,820 करोड़ रुपये का होगा. स्टेट बैंक और एचडीएफसी बैंक के बाद तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. यूनियन के एक अन्य नेता ने कहा, ”इस विलय से कई शाखाएं बंद होंगी और ग्राहकों को कठिनाइयों का सामना करना होगा क्योंकि बैंकों पर जन धन योजना, मुद्रा योजना सामाजिक सुरक्षा योजना जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर पहले से दबाव है.”विरोध के बावजूद सरकार ने पिछले हफ्ते प्रस्तावित विलय को मंजूरी दे दी थी.

पिछले सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के करीब 3.20 लाख अधिकारियों ने प्रस्तावित विलय के विरोध और वेतन संशोधन तत्काल लागू करने की मांग को लेकर एक दिन की हड़ताल की थी. बैंकों के प्रबंधन ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) को स्केल 1 से 3 तक के कर्मचारियों के लिये वेतन समीक्षा को लेकर बातचीत की जिम्मेदारी दी है.  लेकिन कर्मचारी इसे स्केल 7 तक के कर्मचारियों तक लागू करने की मांग कर रहे हैं. यूनियनों और बैंक प्रबंधकों के मंच आईबीए के बीच वेतन संशोधन को लेकर बातचीत पिछले 13 महीने से चल रही है. आईबीए ने वेतन में 8 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव किया है. पिछले वेतन संशोधन (एक नवंबर 2012 से 31 अक्टूबर 2017 के लिये) में कर्मचारियों के वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की थी

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