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अलविदा 2018: हादसों के नाम रहा ये साल, सदियों में भी नहीं भरेगा जख्म…

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ग्वालियर और शिवपुरी की सीमा पर स्थित पिकनिक स्पॉट सुल्तानगढ़ झरने में अचानक चढ़े पानी में 15 अगस्त की शाम 12 लोग पानी की तेज धार में बह गये, जबकि 45 लोग 100 फीट ऊंची चट्टान पर फंस गये थे, जिन्हें हवाई रेस्क्यू के जरिए बचा लिया गया था, हादसे के बाद से ही युद्ध स्तर पर एनडीआरएफ राहत एवं बचाव कार्य में जुटा रहा, बावजूद इसके 12 लोग काल के गाल में समा गये.
5 जनवरी 2018 को इंदौर के बायपास रोड स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल की एक बस दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी, जिसमें 4 बच्चों सहित बस ड्राइवर की भी मौत हो गई थी, जबकि एक टीचर के साथ कई अन्य बच्चों को गंभीर हालत में बॉम्बे हॉस्पिटल के आईसीयू में भर्ती कराया गया था. घटना बिचौली मर्दाना के पुल के पास हुई थी. इस दौरान ट्रक और स्कूल बस की आपस में जोरदार टक्कर हो गई थी साल 2018 एक परिवार के लिए मौत का सबब बन गया और एक हादसे में पूरा परिवार मौत के मुंह में समा गया. पूरा परिवार कार में सवार होकर ललितपुर से शादी समारोह में जा रहा था, तभी मालथौन झारी सागर फोरलेन पर हुए हादसे में ने पूरे परिवार की जिंदगी में ब्रेक लगा दिया. हाइवा ट्रॉला और कार की भिड़ंत में 3 बच्चों सहित 9 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 6 घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद सागर रेफर किया गया था.
31 मार्च  2108 को इंदौर के सरवटे बस स्टैंड के पास स्थित 4 मंजिला होटल धराशायी हो गया था. जिसमें 10 लोग जिंदा दफन हो गये थे, जबकि 6 लोग घायल हो गए थे. हादसे के बाद देर रात तक रेस्क्यू चला था. हालांकि, नगर निगम ने उस होटल को जर्जर घोषित कर रखा था, लेकिन इसे न तो गिराया गया और न ही ध्यान दिया गया था. लिहाजा इतने लोगों की जिंदगी पर ब्रेक लग गया. 80 साल पुराने इस होटल में रिपोयरिंग का काम चल रहा था और उसके बेसमेंट में पानी भरा था, इसी दौरान ये हादसा हुआ था.
सतना में 22 नवंबर को भीषण सड़क हादसा हुआ था. जिसमें 7 बच्चों की मौत हो गई थी. सतना से लगभग 40 किमी दूर बीरसिंहपुर के पास एक स्कूल वैन और बस की आमने सामने टक्कर हो गई थी. जिसमें 7 स्कूली बच्चों और ड्राइवर की मौत हो गई थी. हादसे में दोनों वाहनों में सवार 10-12 लोग घायल भी हुए थे. सागर के रहली थाना क्षेत्र के तिखी गांव में दो भाइयों शंकर और पुरुषोत्तम पटेल के बीच जमीनी विवाद मारपीट में तब्दील हो गया था. जिसमें घायल शंकर की भोपाल में उपचार के दौरान मौत हो गई थी, लेकिन अंतिम संस्कार के बाद पुरुषोत्तम और उसका परिवार डर गया. जिसके चलते पुरुषोत्तम, उसकी पत्नी सरोज व बेटा बल्लू फांसी के फंदे पर झूल गये, जबकि पुरुषोत्तम के बेटे रामू और बहू सीमा ने जहरीला पदार्थ खा लिया.
हर साल सड़क हादसे में लाखों जानें जाती हैं, लेकिन सरकारें अब तक इसका कोई मुकम्मल तरकीब नहीं निकाल पायी हैं. ऐसे में ये हादसे कितनों को जिंदगी भर का गम दे जाते हैं, जिन्हें वो जीते जी नहीं भूल पाते

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