Home मध्य प्रदेश अलविदा 2018: खेल की दुनिया में चमके मध्यप्रदेश के सितारे…

अलविदा 2018: खेल की दुनिया में चमके मध्यप्रदेश के सितारे…

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साल के पहले महीने में ही खेल के क्षेत्र में प्रदेश को बड़ी खुशखबरी मिली, जब मध्यप्रदेश की बेटी ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह बनाई. 19 साल की पूजा वस्त्रकार ने अपने हुनर के दम पर यह साबित कर दिया कि बेटियां हर क्षेत्र में परचम लहराने का दम रखती हैं.  शहडोल में पैदा हुई पूजा ने अपनी मां को तभी खो दिया था, जब वह 10 साल की थीं. पहले बल्ले से विरोधी टीम के गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने वाली पूजा ने राज्य स्तरीय टीम में आने के बाद गेंदबाजी को चुना, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 10 फरवरी 2018 को पूजा ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपना डेब्यू मैच खेला.

एशियन गेम्स में इस बार मध्यप्रदेश ने अबतक का सबसे बड़ा दल भेजा. इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में प्रदेश की तरफ से 40 खिलाड़ियों ने भाग लिया. इसमें 17 साल की मुस्कान किरार ने तीरंदाजी में रजत पदक जीतकर अपना लोहा मनवा लिया. मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली मुस्कान के पिता छोटी सी दुकान चलाते हैं. उन्होंने कभी अपने बेटियों को खेलने से नहीं रोका. मुस्कान ने 16 साल की उम्र में जबलपुर स्थित रानीताल तीरंदाजी अकादमी ज्वॉइन की थी, जहां उनके कोच ने उनकी प्रतिभा को पहचाना. एशियन गेम्स के लिए मुस्कान रोजाना 6 घंटे प्रेक्टिस करती थीं.

हर्षिता तोमर ने एशियन गेम्स में ही सेलिंग में कांस्य पदक जीतकर प्रदेश को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई. श्रीनगर में पैदा हुई हर्षिता जन्म के बाद ही होशंगाबाद आ गई थी. 3 साल की उम्र में इन्होंने नर्मदा में तैराकी सीखनी शुरू की और फिर अपने आपको उसी में रमा लिया. सुविधाओं के अभाव में इन्हें होशंगाबाद छोड़कर भोपाल आना पड़ा, जिसके बाद इन्होंने सेलिंग के बारे में जाना और सीखा. 11 साल की हर्षिता ने सेलिंग के लिए एमपी स्पोर्ट्स अकादमी ज्वॉइन की और जीत के लिए कड़ी मेहनत शुरू कर दी, जिसका फल उन्हें कांस्य पदक के रुप में मिला. इसके बाद उन्हें याट्सपर्सन ऑफ द ईयर से भी नवाजा गया.
एशियन गेम्स में भारतीय हॉकी टीम में शामिल विवेक सागर ने प्रदेश का नाम तो रोशन किया ही साथ ही कामयाबी की नई कहानी भी लिखी. भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक हासिल किया. इस पदक में विवेक की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी. इटारसी में पैदा हुए विवेक के पिता हमेशा उनको हॉकी खेलने से मना करते थे. यहां तक कि हॉकी खेलने पर उनके पिता ने उन्हें पीटकर घर से बाहर भगा दिया था. बचपन से ही हॉकी खेलने के शौकीन विवेक के पास खेलने के लिए हॉकी स्टिक और जूते नहीं होते थे. आज भी उनका पूरा परिवार टीनशेड के मकान में रहता है. घर तक पहुंचने के लिए एक कीचड़ से सनी पगडंडी से गुजरना पड़ता है. उनके संघर्ष और मेहनत का ही नतीजा है कि आज सिर्फ उनके पिता ही नहीं, बल्कि पूरा देश उनपर गर्व महसूस करता है.

मध्यप्रदेश के खिलाड़ियों ने इस बार वाटर स्पोर्ट्स में भी काफी दम दिखाया. एशियन जूनियर रोइंग चैम्पियनशिप में प्रदेश को दो रजत पदक मिले. एक तरफ जहां मंगल सिंह और नितेश भारद्वाज की जोड़ी ने जूनियर क्वार्टरपूल स्कूल में रजत पदक जीता, तो वहीं दूसरी तरफ रोहित संधावा और विजय पाल की जोड़ी ने शानदार प्रदर्शन करते हुए रजत पदक हासिल किया.

जापान के ओकिनावा शहर में हुए 17वें एशियन कराते चैम्पियनशिप में प्रदेश के तीन खिलाड़ियों ने रजत पदक जीतकर प्रदेश का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया. कैडेट जूनियर और अन्डर 21 में गार्गी सिंह परिहार, वंदना यादव और सलोनी पाटीदार ने अपने शानदार मूव्स से अपने विरोधियों को धराशायी करते हुए रजत पदक हासिल किए.

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