खंती आस-पास के इलाकों की आबादी के लिए नासूर बन चुकी थी 40 साल पुरानी भानपुर खंती को साइंटिफिक क्लोजर प्रोजेक्ट के तहत 25 जनवरी 2018 को बंद कर दिया. भानपुर कचरा खंती में प्रतिदिन 300 मेट्रिक टन खाद बनाई जा रही है और आदमपुर छावनी में नई कचरा खंती बनाई गई है, लेकिन नगर निगम की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते अब तक भानपुर खंती कचरे के अंबार से पूर्ण रूप से मुक्त नहीं हो पाई है. अभी भी लाखों टन कचरा भानपुर खंती में पड़ा हुआ है और यहां आए दिन कचरे में आग लगने की वजह से लोगों को यहां से उड़ने वाले जहरीले धुएं का सामना करना पड़ता है. हालांकि दावा किया गया था कि 6 माह के अंदर भानपुर खंती को पूर्ण रूप से कचरा मुक्त कर दिया जाएगा लेकिन नगर निगम का दावा 1 वर्ष बाद भी खोखला साबित हुआ है.
राजधानी में बेलगाम ट्रैफिक को कंट्रोल करने के साथ ही ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों पर निगाह रखने के लिए भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड में 11 करोड़ की लागत से 22 तिराहे, चौराहे और प्रमुख सड़कों पर इंटेलीजेंट ट्रेफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आई टी एम एस ) इंस्टॉल किया है. इसके अंतर्गत प्रतिदिन 300 से 400 चालान जनरेट हो रहे हैं. हालांकि, इस सिस्टम की कई खामियां भी सामने आई हैं. उदाहरण के तौर पर यह सिस्टम साइकल चालक का भी चालान काट देता है. गाड़ियों के नंबर ट्रेस करने में भी अभी इसे परेशानी आ रही है.
अब बात करते हैं नगर निगम के कर्मचारियों की, नगर निगम में इस वर्ष 89 दिवसीय श्रमिकों को स्थाई कर्मी बनाने की कोशिश की करीब 8 महीने की कवायद के बाद 14 सौ से ज्यादा श्रमिकों को नियमित किया गया. तो वहीं दूसरी ओर 25 कर्मचारियों को नियमित करने की कवायद जारी है. हालांकि नगर निगम के कर्मचारियों की अभी भी वेतन विसंगति की मांग पूरी होना बाकी है जिसे लेकर कर्मचारी गाहे बगाहे आंदोलन करते रहते हैं. वर्ष 2019 में भी नगर निगम के कर्मचारी अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए संघर्ष करते नजर आ सकते हैं .
अब बात करते हैं उस क्षेत्र की जो वर्षों तक जल संकट से जूझता रहा और अभी भी जल संकट से जूझ रहा है. तीन दशक से भी अधिक समय से जल संकट से जूझ रहे कोलार में 6 जनवरी 2018 को जलापूर्ति प्रारंभ हुई . नगर निगम में 56 करोड़ की लागत वाले वाटर सप्लाई प्रोजेक्ट के अंतर्गत केरवा से कोलार तक 160 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछाई है. हालांकि हकीकत यह है कि लोगों की वाहवाही लूटने के लिए नेताओं ने 25 दिसंबर 2017 की तारीख घोषित की थी यह तारीख प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान ने घोषित की थी. यही वजह रही कि बिना प्लानिंग के ही जल्दबाजी में कोलार के रहवासियों के लिए पाइप लाइन डालने का काम शुरू किया गया. अब स्थिति यह है कि इस पेयजल लाइन का शुभारंभ तो कर दिया गया लेकिन 75% कोलार के रहवासी अभी भी जल संकट से जूझ रहे हैं.
न्यू मार्केट में 1150 चार पहिया और 1000 दो पहिया वाहन पार्किंग की क्षमता वाली मल्टी लेवल पार्किंग का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 जून को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से इंदौर से लोकार्पण किया 7818.40 वर्ग फीट दायरे में 36 करोड़ 33 लाख रुपए की लागत से ढाई साल में बनकर तैयार हुई है. हालांकि इस पार्किंग की हकीकत यह है कि किराया ज्यादा होने की वजह से लोग यहां अपनी गाड़ी पार्क करने के लिए नहीं आते हैं. इस पार्किंग की सुरक्षा को लेकर भी कई बार सवाल खड़े हो चुके हैं. यही वजह रही है कि माइंड टेक नामक कंपनी इस पार्किंग का काम संभालती थी लेकिन कई विवाद सामने आने के बाद स्मार्ट सिटी कंपनी ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में लिया है लेकिन जिस उद्देश्य के साथ इस मल्टी लेवल पार्किंग का निर्माण किया गया था वह पूरी तरह से फेल होता नजर आ रहा है.
भोपाल के महापौर आलोक शर्मा पूरे वर्ष किसी न किसी वजह से चर्चा में बने रहे सबसे पहले आलोक शर्मा उस समय विवाद में फंस गए जब स्वच्छता सर्वेक्षण में भोपाल को द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ और उन्होंने इसके आभार प्रकट करने हेतु लाल परेड मैदान में एक भव्य आयोजन की रूपरेखा तैयार की लेकिन अंतिम समय में यह आयोजन रद्द कर दिया गया लेकिन इस आयोजन में नगर निगम के काफी पैसे बर्बाद हो गए इसके बाद उन्होंने होटल पलाश में स्वच्छता सर्वेक्षण में द्वितीय स्थान आने पर कार्यक्रम आयोजित किया इस कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया इस कार्यक्रम में भी नगर निगम के लाखों रुपए फूंक दिए गए. इस कार्यक्रम के बाद कांग्रेस के पार्षदों ने नगर निगम की कार्यप्रणाली पर भी कई सवाल उठाए कांग्रेस पार्षदों ने आरोप लगाया कि नगर निगम की राजस्व स्थिति ठीक नहीं है. उसके बावजूद भी महापौर के द्वारा शिवराज सिंह चौहान का सम्मान करने के लिए निगम का लाखों रुपए बर्बाद कर दिया गया.
इसके बाद आलोक शर्मा चर्चा में तब आए जब अगस्त माह में तेज बारिश से बाढ़ के हालात बने और 5 लोगों की मौत हो गई 12 जुलाई को बाढ़ के हालात बने तो महापौर अन्य विभागों पर ठीकरा फोड़ने भोपाल टॉकीज रोड पर बाढ़ के पानी में कुर्सी डाल कर धरने पर बैठ गए. महापौर का आरोप था कि क्षेत्र में पीडब्ल्यूडी के नाले की वजह से पानी भरता है हालांकि इस मामले में भी आलोक शर्मा की काफी किरकिरी हुई. क्योंकि गलती नगर निगम की ही निकली.
महापौर आलोक शर्मा और नगर निगम परिषद के अध्यक्ष सुरजीत सिंह चौहान का विवाद भी काफी सुर्खियों में रहा 4 जुलाई को शाम 4:00 बजे दोनों के बीच महापौर निवास पर तीखी बहस हो गई थी इस मामले में महापौर आलोक शर्मा इतने नाराज हो गए थे कि उन्होंने कह दिया था कि वह दबाव की राजनीति बर्दाश्त नहीं करेंगे मैंने आपको अध्यक्ष बना कर गलती की है इस विवाद से नाराज होकर महापौर ने मुख्यमंत्री को अपना इस्तीफा देने की बात तक कह दी थी हालांकि बाद में आलोक शर्मा ने इस प्रकार के किसी भी विवाद होने से इनकार कर दिया था.
अमृत योजना के अंतर्गत 125 करोड़ की लागत वाले नाला नाली निर्माण में 7 मार्च को बड़ी गड़बड़ी सामने आई बैंक की शाखा के अधिकारी और ठेकेदारों के गठजोड़ के चलते 15 नाले नालियों के निर्माण और चैनेलाइजेशन के कामों में से 10 कामों में अनुमानित लागत से अधिक रेट आए. बता दें कि टेंडर में सुनियोजित तरीके से गड़बड़ी को अंजाम दिया गया हालांकि इस मामले में अभी जांच की जा रही है.