सके साथ ही जिला प्रशासन ने रजिस्ट्री कार्यालय में भी कुछ तब्दीली की जिसका सीधा फायदा आम लोगों को हुआ, जिसमें रजिस्ट्री होते ही नामांतरण की प्रक्रिया तुरंत प्रदान की जाने लगी. इसके साथ ही पुराने कलेक्टर कार्यालय का रिनोवेशन भी संपन्न हुआ. जिला प्रशासन ने एक बड़ा निर्णय लेते हुए 2,156 वर्ग फिट के छोटे प्लॉट के नामांतरण पर लगी रोक को पूर्ण रूप से हटाया.
विधानसभा चुनाव 2018 से पहले बीजेपी सरकार ने कोलार को तहसील घोषित कर दिया था. 22 दिसंबर को कोलार को तहसील बनाने के आदेश जारी हुए. इस नई तहसील के दायरे में 60 गांव आएंगे. यह तहसील 1 जनवरी से अस्तित्व में आ जाएगी. तहसील कार्यालय कोलार नगर पालिका भवन में होगा.
इस वर्ष मर्जर के मर्ज से भोपाल की जनता को मुक्ति मिली है हालांकि, ईदगाह की 600 एकड़ जमीन पर रहने वाले लोगों की सांसें अभी भी अटकी हुई हैं क्योंकि उनका मामला अभी सुलझ नहीं पाया है क्योंकि अभी भी उनकी जमीन पर यह असमंजस बरकरार है कि उनकी जमीन निजी घोषित होगी या फिर सरकार इसे शासकीय जमीन घोषित कर देगी. अब यह पूरा मामला कांग्रेस की नई सरकार के हाथ में पहुंच गया है.
जिला प्रशासन के लिए वर्ष 2019 में कई चुनौतियां हैं जिनसे उन्हें निपटना होगा. सबसे पहले स्मार्ट रोड बनाने को लेकर अरेबियन कॉटेज की जमीन का उलझा हुआ मामला जिला प्रशासन को सुलझाना होगा तभी स्मार्ट रोड को पूर्ण आकार मिल सकेगा. अभी यह मामला अटका हुआ है वहीं मेट्रो डिपो बनाने के लिए स्टड फार्म की पूरी जमीन आरक्षित नहीं हो सकी है करीब 10 एकड़ जमीन का केस उच्च न्यायालय में लंबित पड़ा हुआ है .पीडब्ल्यूडी राजधानी परियोजना व नगर निगम की सड़कों को इस वर्ष में चिन्हित करने की चुनौती जिला प्रशासन के सामने फिर से एक बार होगी.
चांदपुर में जमीन आवंटित हुए करीब 3 वर्ष बीत गए हैं लेकिन शहर से आरा मशीनों को जिला प्रशासन शिफ्ट नहीं कर पाया है . इसकी वजह से आए दिन आरा मशीनों के गोदामों में आगजनी की घटना होती रहती है.राजधानी से डेयरी शिफ्टिंग व ट्रांसपोर्ट मार्केट को भी दूसरी जगह शिफ्ट करना जिला प्रशासन के लिए वर्ष 2019 में चुनौतीपूर्ण होगा. वहीं कोलार क्षेत्र में नए खेल मैदान और केंद्रीय विद्यालय का निर्माण करवाना भी जिला प्रशासन के लिए कई चुनौतियों से भरा है.
शासन ने मर्जर के मर्ज को खत्म कर मर्जर प्रभावितों को वर्ष 2018 में सबसे बड़ी राहत दी . शासन ने मर्जर शब्द को ही ब्लॉक कर दिया. इससे प्रभावित 13 गांव की जमीन को मर्ज के दायरे से बाहर कर मर्जर प्रभावित 152 हेक्टेयर जमीन का हक उनके मूल भूमि स्वामियों को दे दिया गया . मर्जर के मर्ज को खत्म हुआ लेकिन ईदगाह की 600. 83 एकड़ जमीन पर बसे लोगों को राहत नहीं दी गई.