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गरीब सवर्णों को आरक्षण के लिए आज संसद में आएगा संविधान संशोधन बिल..

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लोकसभा चुनावों से पहले मोदी सरकार ने बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेला है. आर्थिक तौर पर कमज़ोर सवर्णो को सरकारी नौकरियों में 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का फ़ैसला किया है. इसके लिए सरकार आज लोकसभा में संविधान संशोधन बिल लाएगी. बीजेपी ने अपने सांसदों को लोकसभा में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है.  ग़रीब सवर्णों के लिए 10 फ़ीसदी का यह आरक्षण 50 फ़ीसदी की सीमा से अलग होगा. केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को इस संशोधन को मंज़ूरी दी है.

माना जा रहा है कि सरकार ने ये क़दम बीजेपी से नाराज़ चल रहे सवर्णों के एक बड़े धड़े को लुभाने के लिए उठाया है. इसी बीच शीत सत्र में राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बढ़ा दी गई है, यानी अब राज्यसभा में 9 जनवरी तक कामकाज होगा. माना जा रहा है कि सरकार ग़रीब सवर्णों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने का जो संविधान संशोधन बिल लाने जा रही है, उसी के मद्देनज़र राज्यसभा की कार्यवाही बढ़ाई गई है

झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने कहा कि पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए, अदिवासियों के कोटे को 26 से 27 फीसदी किया जाए. अल्पसंख्यकों के लिए झारखंड में 5 फीसदी कोटा दिया जाए टीएमसी सांसदों ने सिटिजनशिप संशोधन बिल का किया प्रतीकात्मक विरोध

गरीब सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने के फैसला का स्वागत करता हूं  अनुराग ठाकुर गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने वाले बिल का समर्थन करेगी बहुजन समाज पार्टी मायावती इस बीच बिहार के मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता जयकुमार सिंह ने इसके लिए नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद दिया.

महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को जहां चुनावी नौटंकी बताया वहीं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को देर से लिया गया सही एवं सकारात्मक फैसला बताया.

बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि 15 फीसदी आबादी वाले को अगर दस प्रतिशत आरक्षण दिया जाता है तो 85 प्रतिशत आबादी वाले अनुसूचित जाति जनजाति और समाज के अन्य पिछडे वर्ग को 90 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए. हाल ही में राजग छोड़कर महागठबंधन में शामिल हुए रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवहा ने कहा कि जब भी उन्होंने सरकार के समक्ष 50 प्रतिशत के आरक्षण को अपर्याप्त बताया, उन्हें यह दलीलदी गयी कि यह उच्चतम न्यायालय की तरफ से तय किया गया है और इसमें बदलाव के लिए संविधान में संशोधन करना होगा पर आज वे संविधान में बिना किसी संशोधन के लिए इस आशय का निर्णय कैसे ले रहे हैं. यह चुनावी स्टंट है और ‘जुमलेबाजी’ का एक अन्य उदाहरण है.
बिहार के विपक्षी दलों ने केंद्र में सत्तासीन नरेंद्र मोदी सरकार के अगड़ी जाति के आर्थिक तौर पर पिछडे लोगों को दस प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के निर्णय को चुनावी स्टंट बताया है.

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