केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच और राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर मंगलवार को पूरे प्रदेश में धरना प्रदर्शन हुए। राजधानी शिमला में मजदूर यूनियनों ने सचिवालय के बाहर प्रदर्शन कर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में रैली निकाली गई। शिमला में मजदूरों ने पंचायत घर से लेकर राज्य सचिवालय तक रैली निकाली।
जनसभा को सीटू राज्य महासचिव प्रेम गौतम, राज्य सचिव विजेंद्र मेहरा, एटक नेता रोशन लाल डोगरा, इंटक नेता बीएस चौहान, भारत भूषण, हिमाचल किसान सभा राज्य महासचिव और ठियोग के विधायक राकेश सिंघा, संजय चौहान, बाबू राम, रमाकांत मिश्रा, हिमी देवी, विनोद बिरसांटा, किशोरी ढटवालिया, बालक राम, हुक्म शर्मा, सेठ चंद, मदन, दलीप, वीरेंद्र, नोख राम, बबलू, आशा, पुष्पा ने संबोधित किया। यूनियन नेताओं ने कहा कि वर्तमान मोदी सरकार पूंजीपतियों के घरानों के लिए कार्य कर रही है। इस सरकार के कार्यकाल में मजदूरों का शोषण तेज हुआ है। सरकार के गलत फैसलों के कारण देश भर में पंद्रह लाख मजदूरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन किए जा रहे हैं। पक्के रोजगार के बजाए आउटसोर्स, अनुबंध व पार्ट टाइम पर नौकरियां दी जा रही हैं। किसानों की आत्महत्याएं बढ़ी हैं। मजदूरों का न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये किया जाए। आंगनबाड़ी, मिड डे मील व आशा वर्करों को नियमित किया जाए। श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तनों पर रोक लगाई जाए। सार्वजनिक क्षेत्रों को बेचने की प्रक्रिया पर रोक लगाई जाए। सभी कर्मचारियों के लिए ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल की जाए। आउटसोर्स और अनुबंध नीति पर रोक लगाई जाए। समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। मनरेगा में एक सौ बीस दिन का रोजगार सुनिश्चित किया जाए। मनरेगा व निर्माण मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण किया जाए।