केंद्र सरकार ने इसके आदेश भी जारी कर दिए हैं. केंद्र सरकार इन दिनों एक प्रदेश एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की नीति पर काम कर रही है. इसके तहत इन दोनों के साथ स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रायोजित मध्यांचल ग्रामीण बैंक का भी विलय प्रस्तावित था, लेकिन उक्त बैंक की गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) 26.13 फीसदी होने के कारण अभी इसे इस विलय प्रक्रिया से बाहर रखा गया है. सरकार आने वाले दिनों में इस पर दोबारा विचार कर सकती है.
विलय के बाद नए प्रस्तावित बैंक में केंद्र सरकार की शेयर पूंजी 181.32 करोड़ रुपए होगी, राज्य सरकार की शेयर पूंजी 54.40 करोड़ रुपए. वहीं प्रायोजित बैंकों की 106.92 करोड़ रुपये होगी. गौरतलब है कि सेंट्रल मध्यप्रदेश बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और नर्मदा-झाबुआ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रायोजित हैं. जानकारों की मानें तो विलय बैंकों का कैपिटल बेस बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. इससे बैंकों की कार्यप्रणाली में भी सुधार होगा. हालांकि बैंक यूनियन लंबे समय से इस तरह के विलय का विरोध कर रहा है.