आर्थिक आधार पर आरक्षण के मुद्दे को लेकर राष्ट्रीय जनता दल ने यूटर्न मारा है. संसद में बिल पेश किए जाने के वक्त आरजेडी ने आर्थिक आधार पर आरक्षण के खिलाफ वोटिंग की थी. लेकिन अब आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का कहना है कि संसद में हमसे चूक हुई है, हम सवर्ण आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं. आरजेडी ने संसद में ये कहते हुए आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग को आरक्षण का विरोध किया था कि ये ओबीसी कोटे पर दिनदहाड़े डाका है. लेकिन आरजेडी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह इस मसले पर पार्टी लाइन से अलग दिख रहे हैं. सिंह का कहना है कि इस मसले पर आरजेडी से संसद में चूक हो गई. इतनी हड़बड़ी में बिल पेश किया गया कि पार्टी में विचार-विमर्श नहीं हो सका. हमारी वोटिंग जल्दबाजी में हुई.
साथ ही सिंह ने कहा आरजेडी को इस बिल पर अलग नहीं होना चाहिए था. हम सवर्ण आरक्षण के खिलाफ नहीं है, हमारे मेनीफ़ेस्टो में भी आरक्षण की बात है. हालांकि, रघुवंश प्रसाद ने आठ लाख तक की आमदनी की सीमा तय करने पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर सबके लिए आठ लाख हो, जिसकी जितनी आबादी, उसके अनुपात में आरक्षण मिले.
बता दें, मोदी सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को सरकारी नौकरी और शिक्षण संस्थानों में 10 फीसदी आरक्षण देने बिल लेकर आई थी. बिल लोकसभा और राज्यसभा से दो ही दिनों में पास हो गया. हालांकि, बिल के समय को लेकर काफी सवाल उठे, लेकिन संसद के दोनों ही सदनों से बिल बहुमत के साथ नौ जनवरी को पास हुआ था, इसके बाद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी आरक्षण देने संबंधी विशेष प्रावधान को मंजूरी दे दी थी.
इसके लिए संविधान अधिनियम के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया गया है. इसके जरिए एक प्रावधान जोड़ा गया है जो राज्य को ‘नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर किसी तबके की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता है.’ यह ‘विशेष प्रावधान’ निजी शैक्षणिक संस्थानों सहित शिक्षण संस्थानों, चाहे सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हो या न हो, में उनके दाखिले से जुड़ा है. हालांकि यह प्रावधान अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होगा. इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह आरक्षण मौजूदा आरक्षणों के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में कुल सीटों की अधिकतम 10 फीसदी सीटों पर निर्भर होगा