Home क्लिक डिफरेंट तो इसलिए दो भागों में बटी होती है सांप की जीभ आप...

तो इसलिए दो भागों में बटी होती है सांप की जीभ आप भी जानिए गहरा रहस्य…

34
0
SHARE

आप सभी ने आज तक कई सारे सांप देखे होंगे. उन सभी के रंग तो अलग-अलग होंगे लेकिन सभी की जीभ बीच में से कटी हुई होगी. ये बात तो आप सभी जानते ही होंगे कि सांप की जीभ आगे से दो हिस्सों में बंटी हुई होती है, लेकिन शायद आप इसके पीछे का कारण नहीं जानते होंगे? तो फिक्र मत कीजिए क्योकि हम आपको आज बता रहे हैं कि आखिर सांप की जीभ दो हिस्सों में क्यों बटी होती हैं. सांपों की जीभ दो भागों में कटी हुई होने के पीछे एक गहरा रहस्य छुपा हुआ है और इसका उल्लेख महाभारत में किया हैं.

महाभारत के अनुसार, महर्षि कश्यप की 13 पत्नियां थीं और इनमें से कद्रू भी एक थी. सभी नाग कद्रू की ही संतान हैं महर्षि कश्यप की एक और पत्नी थी जिनका नाम विनता था और उनके पुत्र पक्षीराज गरुड़ हैं. एक बार उनकी दोनों पत्नियों ने एक सफेद घोड़ा देखा. इसके बाद कद्रू ने कहा कि इस घोड़े की पूंछ काली है और विनता का कहना था कि नहीं पूंछ सफेद है. फिर दोनों में शर्त लग गई और फिर कद्रू ने अपने नाग पुत्रों से कहा कि वो अपना आकार छोटा करके घोड़े की पूंछ से लिपट जाएं, ताकि घोड़े की पूंछ काली नजर आए और वह शर्त जीत जाएं. ऐसे में उनके कुछ नाग पुत्रो ने पूंछ से लिपटने के लिए मना कर दिया तो फिर कद्रू ने अपने पुत्रों को ही शाप दे दिया कि तुम राजा जनमेजय के यज्ञ में भस्म हो जाओगे.

ऐसे में सभी नाग पुत्र शाप की बात सुनकर अपनी माता के कहेनुसार उस सफेद घोड़े की पूंछ से लिपट गए और इससे उस घोड़े की पूंछ काली दिखाई देने लगी. जब विनता शर्त हार गई तो वो दासी बन गई. जैसे ही विनता के पुत्र गरुड़ को ये बात पता चली कि उनकी मां दासी बन गई है तो उन्होंने कद्रू और उनके सभी नाग पुत्रों से पूछा कि, ‘तुम्हें मैं ऐसी कौन सी वस्तु लाकर दूं, जिससे कि मेरी माता तुम्हारे दासत्व से मुक्त हो जाएं.’ इसके बाद नाग पुत्रों ने कहा कि, ‘तुम हमें स्वर्ग से अमृत लाकर दोगे तो तुम्हारी माता हमारी माता के दासत्व से मुक्त हो जाएंगी.’

नागपुत्रों के कहने के बाद गरुड़ स्वर्ग से अमृत कलश लेकर आ गए और उसे कुशा पर रख दिया. उन्होंने सभी नागों से कहा कि अमृत पीने से पहले सभी स्नान करके आएं फिर गरुड़ के कहने पर सभी नाग पुत्र स्नान करने चले गए लेकिन जब तक वो आते तब तक देवराज इंद्र वहां आ गए और अमृत कलश लेकर फिर स्वर्ग चले गए. जब नागपुत्र आए तो उन्हें वहां कलश नहीं मिला और उन्होंने घास को ही चाटना शुरू कर दिया, जिस पर अमृत कलश रखा था. ऐसे में घास की वजह ही उनकी जीभ के दो टुकड़े हो गए.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here