कारगिल युद्ध में परमवीर चक्र विजेता सूबेदार संजय कुमार ने कहा कि अगर सेना के अधिकारी उन्हें आदेश देते हैं कि तो वे एक बार फिर बॉर्डर पर जाकर पाकिस्तान से दो-दो हाथ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि देश की सेना पर हुआ आज तक का सबसे बड़ा हमला है। सेना और सरकार को मुंहतोड़ जवाब देने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि वे देश की सेवा में प्राण न्योछावर करने के लिए हम समय तत्पर हैं।
उनका कर्म और धर्म दोनों की देश की रक्षा करना है। जिला बिलासपुर के रहने वाले संजय कुमार ने कहा कि सेना कमजोर नहीं है और न ही कोई इसे कमजोर आंकने की गलती करे। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से आतंकी हमला किया गया है वह एक कायराना कार्य था। हमला करने वालों का जिसने भी साथ दिया है उनसे भी बदला लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि करगिल युद्ध के दौरान राइफल मैन के पद पर सेवाएं देने के दौरान उन्हें भारतीय सेना की ओर से परमवीर चक्र से नवाजा गया था। ..कारगिल युद्ध के परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बतरा के पिता जीएल बतरा ने आतंकी हमले को बेहद कायराना बताया है। उनका कहना है कि अब बहुत हो चुका है। अब पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने अब कहा कि अब यह बातें सहन करने के लायक नहीं है। अब हद से पार हो गई है। कठोर कार्रवाई का समय आ गया है। यह कई सालों से हो रहा है। लेकिन, इसका माकूल जवाब नहीं दिया तो फिर बार-बार होता रहेगा।
हम किसी से कमजोर नहीं हैं तो हमें अब इसमें कोई कमजोरी नहीं दिखानी चाहिए। भारतीय फौज बार-बार सर्जिकल स्ट्राइक करे। फिर भी पाकिस्तान नहीं मानता है तो सीधा अटैक होना चाहिए। इस मुद्दे को यूएनओ में भी उठाना चाहिए।कारगिल वार में टाइगर हिल एवं तालोलिंग की चोटियों पर विजय पताका फहराने में अहम भूमिका निभाने वाले कारगिल हीरो ब्रिगेडियर खुशहाल ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है। ब्रिगेडियर ठाकुर ने कहा कि पुलवामा आतंकी हमले में पाकिस्तान का पूरा हाथ है। उन्होंने कहा कि हुर्रियत के नेताओं की सुरक्षा तुरंत वापस ली जानी चाहिए, पत्थरबाजों को देश का दुश्मन मान कर व्यवहार करना होगा। पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कर उससे सारे संबंध तोड़ देने चाहिए।
भारत में पाकिस्तानी दूतावासों से उसके सभी नुमाइंदों को पाकिस्तान भेज देना चाहिए। भारत-पाकिस्तान के बीच चल रही संधियों को तुरंत प्रभाव से स्थगित कर देना चाहिए। ब्रिगेडियर ने कहा कि देश के अंदर भी कुछ शरारती तत्व हैं जो इस तरह की गतिविधियों में आतंकवादियों का साथ देते हैं। इन लोगों के खिलाफ सरकार कड़ी कार्रवाई करें। ब्रिगेडियर ठाकुर ने कहा कि भारतीय सेना को सरकार द्वारा खुली छूट दे दी गई है तथा जल्द ही भारतीय सेना ऐसा बदला लेगी जिसे आतंकी याद रखेंगे।
उन्होंने भारतवासियों से आग्रह किया है कि इस कठिन घड़ी में सुरक्षा सैनिकों और उनके परिवारों का साथ दें। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर देश में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।जयसिंहपुर उपमंडल के जालग पंचायत के लंघा गांव के मई 2002 में आतंकियों से लोहा लेते हुए कालू चक में शहीद हुए बीएसएफ के उपनिरीक्षक मोहन सिंह पटियाल की पत्नी संसारो देवी ने आतंकवादियों को उनकी भाषा में ही जवाब देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि शहीदों को यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। शहीद मोहन सिंह का जन्म 10 सितंबर, 1953 को हुआ था। वे 21 जनवरी, 1976 को बीएसएफ की 162 बटालियन में शामिल हुए। बीएसएफ में सेवारत रहते 14 मई 2002 में छुट्टी के बाद घर से यूनिट लौट रहे थे।
पठानकोट में जिस बस में सफर कर रहे थे, उसमें हथियारों से लेस आतंकी भी सवार थे। जैसे ही बस जम्मू के कालुचक पहुंची तो चालक को गाड़ी खड़ी करने को कहा गया।चालक और उनके बीच की तकरार पर मोहन बिना हथियारों के ही आतंकवादियों से उलझ गए थे। आतंकवादियों ने फायरिंग शुरू कर दी। इसमें एएसआई मोहन सिंह शहीद हो गए थे। धर्मशाला के रहने वाले और कश्मीर में सेना के अहम ऑपरेशन का नेतृत्व कर चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर) के एस जम्वाल ने कहा कि पुलवामा हमला बौखलाए पाकिस्तान की कायराना हरकत है। इस हमले के पीछे सुरक्षा चूक जरूर है, लेकिन इस आत्मघाती हमले का मुंहतोड़ जवाब देना होगा। सबसे पहले लोकल कश्मीर में फैलाए जा रहे प्रोपोगंडा वॉर को रोककर कश्मीर के युवा वर्ग को भटकने से रोकने की जरूरत है। इन्फार्मेशन वॉर का कड़ा मुकाबला करने की रणनीति बनानी होगी