भोपाल। प्रदेश की नई-नवेली कांग्रेस सरकार अपना पहला बजट पेश करने जा रही है. हालांकि ये पूर्ण बजट न होकर लेखानुदान होगा, जिसमें आगामी चार महीनों के लिए सदन से धन व्यय की अनुमति ली जाएगी और इसमें किसी भी तरह के नए करों का जिक्र नहीं होगा, लेकिन जनता सूबे की नई सरकार से उम्मीद लगाए बैठी है कि वो अपने वचन पत्र के वादे पूरे करके उनकी किस्मत बदलेगी.
चुनाव जीतने के लिए कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में जो वादे किए थे, उनमें से कुछ वादे ऐसे हैं जिन पर बजट के दौरान लोगों की सबसे ज्यादा नजर होगी.
- जन आयोग का गठन कर भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बड़ी लड़ाई लड़ने का वादा
- किसानों का बिजली बिल आधा करने का वादा
- किसानों का कर्ज माफ़ करने का वादा
- सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 300 से बढ़ाकर 1000 करने का वादा
- महिलाओं के स्व सहायता समूह के क़र्ज़ माफ़ करने का वादा
- बच्चियों के विवाह के लिये 51,000 का अनुदान देने का वादा
- हर महीने हर परिवार के एक बेरोज़गार युवा को 10,000 रुपये देने का वादा
- सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 1 लाख युवाओं को नौकरी देने का वादा
- पहले 100 यूनिट तक घरेलू बिजली का बिल एक रुपये प्रति यूनिट करने का वादा.
- सभी फसलों और कुछ सब्जियों पर बोनस देने का वादा
- सबके लिए घर के अधिकार का कानून और बेघर लोगों 450 स्क्वॉयर फीट जमीन या फिर ढाई लाख रुपये देने का वादा
- छात्राओं को स्कूल से पीएचडी तक की मुफ्त पढ़ाई का वादा
- बोर्ड परीक्षा में 70 फीसदी अंक लाने वाले सभी छात्रों को लैपटॉप देने का वादा
- अनुसूचित जाति के सभी लोगों को जमीन का अधिकार देने का वादा
- 60 साल से अधिक उम्र के ऐसे पत्रकार जो 25 साल से काम कर रहे हैं उन्हें 10 हजार रुपये की पेंशन देने का वादा
- इंदौर, ग्वालियर तथा जबलपुर में ट्रांसपोर्ट हब बनाने का वादा
- सड़कों के लिए समयसीमा में काम पूरा करने की जवाबदेही सुनिश्चित करने का वादा
- 70 फीसदी अंकों से 12वीं पास करने वाले छात्रों को दुपहिया वाहन देने का वादा
- 17 से 45 साल की महिलाओं को निशुल्क स्मार्ट फोन, जिसमें आत्मरक्षा के लिए ऐप इंस्टॉल होगी, देने का वादा
- सभी विभागों में गैर-राजपत्रित तृतीय श्रेणी के पद संभागीय संवर्ग एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों को जिला स्तर की भर्ती से भरने का वादा.
कांग्रेस के वचन पत्र के ये वो वादे हैं, जिनके पूरे होने की उम्मीद सूबे की जनता तब से लगाए हुए है, जब प्रदेश में सरकार बदली थी. अब देखने वाली बात ये है कि वचन पत्र के नाम से आये इस घोषणा पत्र के कितने वादों को पूरा करने के लिए सरकार राशि का प्रावधान कर पाती है और कितने वादे आज के दौर की राजनीति की तरह जुमले साबित होंगे.