Home राष्ट्रीय पाक का पानी रोकने के लिए मैंने खाका बनाने को कहा है,...

पाक का पानी रोकने के लिए मैंने खाका बनाने को कहा है, आखिरी फैसला पीएम करेंगे: गडकरी….

4
0
SHARE

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान को पानी न दिए जाने का निर्णय केवल उनके विभाग का नहीं है। इस पर फैसला सरकार और प्रधानमंत्री के स्तर पर लिया जाएगा। मैंने अपने विभाग से खाका तैयार करने को कहा है। पुलवामा हमले के बाद गुरुवार को भारत ने पाक की ओर जाने वाली तीन नदियों के अपने हिस्से का पानी रोकने का फैसला किया था। भारत-पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल समझौता हुआ था। इसके तहत रावी, ब्यास और सतलुज पर भारत और झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों के पानी के इस्तेमाल पर पाकिस्तान का हक है।

जल संसाधन और सड़क परिवहन मंत्री गडकरी ने कहा कि पाक को जा रहा पानी कहां-कहां रोका जा सकता है, इसके लिए विभाग को टेक्नीकल डिजाइन बनाने को कहा गया है। अगर पाक आतंकवाद का समर्थन करेगा तो फिर उसके साथ मानवता का बर्ताव करने का कोई मतलब नहीं है।गडकरी ने गुरुवार को कहा था कि तीनों नदियों के पानी को यमुना में भी लाया जाएगा। रावी नदी पर शाहपुर-कांदी बांध बनाने का काम शुरू हो चुका है।अभी अपने हिस्से का 20% पानी भी पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाता भारत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रावी, सतलुज, ब्यास, सिंधु, चिनाब और झेलम नदियों का 80 फीसदी पानी पाकिस्तान में चला जाता है। वहीं, भारत अपने हिस्से का 20 फीसदी हिस्सा भी ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाता है। सरकार का यह कदम इस हिस्से के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल की ओर है।

भारत और पाकिस्‍तान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि हुई थी। भारत की ओर से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति अयूब खान ने इस पर हस्‍ताक्षर किए थे। दोनों देशों के बीच यह संधि विश्‍व बैंक के हस्‍तक्षेप से हुई थी। इसके तहत सिंधु नदी घाटी की 6 नदियों को पूर्वी और पश्चिमी दो हिस्सों में बांटा गया। इसके मुताबिक, रावी, ब्यास और सतलुज पर पूरी तरह से भारत और झेलम, चिनाब और सिंधु पर पाकिस्तान का हक है।समझौते के तहत भारत को बिजली बनाने और कृषि कार्यों के लिए पश्चिमी नदियों के पानी के इस्तेमाल के भी कुछ सीमित अधिकार हैं। दोनों पक्षों के बीच विवाद होने और आपसी विचार-विमर्श के बाद भी इसका निपटारा नहीं होने की स्थिति में किसी तटस्‍थ विशेषज्ञ की मदद लेने या कोर्ट ऑफ ऑर्बिट्रेशन में जाने का प्रावधान है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here