सभी ग्रहों के पास अपनी एक ही दृष्टि होती है और उसे सातवीं दृष्टि कहा जाता है. लेकिन बृहस्पति, मंगल और शनि के पास अन्य दृष्टियां भी होती हैं. इन सभी ग्रहों में सबसे ज्यादा ताक़तवर और क्रूर दृष्टि शनि की मानी जाती है. इसके पास सातवीं दृस्टि के अलावा तीसरी और दसवीं दृष्टि भी होती है, जो की बेहद खतरनाक होती है. ये दृष्टि जिस ग्रह, भाव या व्यक्ति पर पड़ती है, तो उसका नाश भी कर सकती है. शनि की दृष्टि अलग-अलग ग्रहों पर पड़कर अलग-अलग दुष्परिणाम पैदा कर सकती है.
– हर शनिवार के दिन लाल वस्त्र धारण करके हनुमान जी के समक्ष खड़े हों और हनुमान चालीसा का पाठ करें.
– रोज सायंकाल पश्चिम दिशा की ओर दीपक जलाकर शनि देव के मंत्र का जाप करें.
– घर के छोटो और सहायकों के साथ अच्छा व्यवहार रखें.
– नीले या आसमानी रंग का अधिक से अधिक प्रयोग करें.
– जब शनि अपनी राशि मकर या कुम्भ में हो या अपनी उच्च राशि तुला को देख रहा हो.
– जब शनि पर बृहस्पति की दृष्टि हो.
– जब शनि की दृष्टि लाभकारी हो तो व्यक्ति को धन और प्रशासन का वरदान मिलता है.
– साथ ही व्यक्ति घर से दूर जाकर सफल होता है.
– व्यक्ति को काफी संघर्ष के बाद सफलता बहुत ऊंचाइयों पर ले जाती है.
– ऐसा व्यक्ति किसी की प्रॉपर्टी या पैसा नहीं हड़पता है.