Home मध्य प्रदेश राम मंदिर: मध्यस्थता से RSS नाराज मोदी सरकार पर भरोसा…

राम मंदिर: मध्यस्थता से RSS नाराज मोदी सरकार पर भरोसा…

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अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थ नियुक्त करने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने निराशा जताई है. मध्य प्रदेश के ग्वालियर में संघ की दो दिवसीय बैठक में एक रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि हालांकि संघ को देश की न्यायिक प्रणाली में भरोसा है, लेकिन वे कोर्ट के फैसले से आश्चर्यचकित हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि हिन्दुओं की सहिष्णुता को उनकी कमजोरी न समझा जाए. हालांकि संघ ने मोदी सरकार पर भरोसा जताते हुए कहा है कि राम मंदिर पर उनकी प्रतिबद्धता को लेकर संघ के मन में कोई शंका नहीं है. ग्वालियर में संघ की इस वार्षिक बैठक में 1400 वरिष्ठ पदाधिकारी शिरकत कर रहे हैं, इनमें संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हैं. संघ ये बैठक उसकी निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की है. संघ के सदस्यों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निराशा जताई और कहा कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए अदालत को कानूनी प्रक्रिया में तेजी लानी चाहिए.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए 3 सदस्यों की एक मध्यस्थता कमेटी गठित की है. इस कमेटी में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर, जस्टिस खलीफुल्ला और जाने-माने मध्यस्थ श्रीराम पंचू शामिल हैं. ये कमेटी 8 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठकों में सदस्यों ने इस तथ्य पर जोर दिया कि हिन्दुओं की सहिष्णुता को उनकी कमजोरी की निशानी नहीं मानी जानी चाहिए. रिपोर्ट में कहा गया कि हिन्दुओं की भावनाओं को नजरअंदाज किया जा रहा है. संघ ने बालाकोट एयरस्ट्राइक के लिए एयरफोर्स और सरकार की तारीफ की. रिपोर्ट में कहा गया, “मौजूदा सरकार एंटी सोशल तत्वों पर लगाम लगाने में प्रशंसनीय काम कर रही है.”

वहीं संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी भैयाजी ने कहा कि राम मंदिर को लेकर मौजूदा सरकार की प्रतिबद्धता पर संघ को कोई शंका नहीं है. उन्होंने कहा, “हम मानते हैं कि अभी सत्ता में बैठे हुए लोग राम मंदिर के विरोध में नहीं हैं, उनकी प्रतिबद्धता को लेकर हमारे मन में कोई शंका नहीं है. ग्वालियर में लोकसभा चुनाव से पहले चल रही संघ की इस बैठक में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर प्रस्ताव पारित किया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया, “सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर पर अपने एक मात्र महिला सदस्य के विचारों को बिना ध्यान में रखे फैसला सुना दिया.संघ ने लोगों से अपील की है आगामी लोकसभा चुनाव में सभी वोटर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें.

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