पूरे विश्व में पानी की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। दूसरी ओर पानी के स्रोत कम हो रहे हैं। ऐसे में पानी का संरक्षण करना बेहद जरूरी है। भारत में चश्मे के पानी को बचाने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाकर स्प्रिंग एटलस बनाया जाएगा।
इससे चश्मों (स्प्रिंग्स) के पानी का प्रबंधन सुदृढ़ किया जाएगा। यह बात केंद्रीय जल संशासन मंत्रालय के सचिव यूपी सिंह ने धर्मशाला में कार्यशाला के दौरान कही। कार्यशाला का आयोजन देश के पहाड़ी क्षेत्रों में चश्मों के विकास से जल सुरक्षा, स्प्रिंग्स का कायाकल्प विषय पर केंद्रित किया गया।सिंह ने कहा कि देश की आजादी के बाद जितने पानी के चश्मे देश में थे, उसमें से 50 प्रतिशत सूख गए हैं या फिर उद्योग और विकास की चपेट में आकर खत्म हो गए हैं। कहा कि जलवायु परिवर्तन से बारिश के समय बदलाव होने से सबसे ज्यादा नुकसान प्राकृतिक जल स्रोतों को हो रहा है।
इससे अब वे पूरा साल पानी देने की बजाय सिर्फ एक सीजन में ही पानी छोड़ रहे हैं। पहाड़ी क्षेत्र में वाटर शेड योजना पर और गति से काम किया जाएगा। इससे पहले कार्यशाला के शुभारंभ सत्र में केंद्रीय भूतल जल बोर्ड के चेयरमैन केसी नाइक, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के अतिरिक्त प्रधान सचिव संजय कुंडू, सर्वे ऑफ इंडिया के सामान्य सर्वेक्षक लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार, आईपीएच विभाग हिमाचल के सचिव ओंकार चंद शर्मा सहित केंद्रीय और राज्य एजेंसियों, सिविल सोसायटियों, विश्वविद्यालयों, अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों सहित अन्य प्रतिनिधियों ने भाग लिया