बता दें यह मामला साल 2016 का है. संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने बताया कि आयोग में संविदा के आधार पर काम कर रहे कर्मचारी चंद्र प्रकाश तिवारी को नियमित नहीं किया गया था, जबकि उनके साथ ही अन्य कर्मचारियों को नियमित कर दिया गया था, जिसे चुनौती देते हुए कर्मचारी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर कोर्ट ने कर्मचारी के हित में फैसला सुनाया है.
कोर्ट ने कहा कि संविदा कर्मचारी उस पद की योग्यता पूरी करते हैं और नियामक आयोग ने संविदाकर्मी के साथ भेदभाव किया था. जिसके बाद हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश नियामक आयोग को संविदा कर्मचारी को नियमित करने के आदेश दिए हैं. साथ ही कहा कि जिस तारीख से अन्य संविदाकर्मियों को नियमित किया गया है, उसी तारीख से चंद्र प्रकाश तिवारी को नियमित करने के साथ ही वेतनमान और भत्ते भी दिए जाएं.