Home हिमाचल प्रदेश IIT मंडी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया जैविक प्लास्टिक…

IIT मंडी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया जैविक प्लास्टिक…

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प्लास्टिक के अत्यधिक इस्तेमाल और प्रदूषण की समस्या से दुनिया जूझ रही है। इसके इस्तेमाल से कैंसर और अन्य रोगों का भी खतरा है, लेकिन अब प्लास्टिक के प्रयोग से घबराने की जरूरत नहीं।      आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने माइक्रोवेव एनर्जी का इस्तेमाल करते हुए जूट और केनाफ फाइबर से जैविक प्लास्टिक तैयार कर लिया है। यह सामान्य प्लास्टिक की तरह होगा, लेकिन डिग्रेडेबल होने के साथ-साथ पर्यावरण मित्र होगा।

आईआईटी मंडी के इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सन्नी जफर और उनके शोध छात्र मनोज कुमार सिंह ने यह आविष्कार कर दिखाया है। हाल ही में जर्नल ऑफ थर्मोप्लास्टिक कंपोजिट मैटीरियल्स में शोध भी प्रकाशित हुआ है।इसे डेवलपमेंट एंड कैरेक्टराइजेशन ऑफ माइक्रोवेव क्युर्ड थर्मोप्लास्टिक बेस्ड नेचुरल फाइबर रीइंफोर्स्ड कंपोजिट्स नाम दिया गया है। अपने शोध के बारे में डॉ. सन्नी जफर ने बताया कि फाइबर से प्रबलित पॉलीमर मैट्रिक्स की आपसी पकड़ मजबूत बना कर कंपोजिट के गुणों को बेहतर बनाता है।फाइबर रीइंफोर्स्ड प्लास्टिक एफआरपी नाम से जाना जाता है। यह एफआरपी ग्लास, खिलौने, फर्नीचर, बर्तन (नान ब्रेकेबल) बनाने में काम आता है। यह मेटल से हल्के वजन के होते हैं।

साथ ही इनके मेकेनिकल गुण शक्ति, कड़ापन और दरार रोधी क्षमता भी बेहतर होती है। एयरोस्पेस सिस्टम से लेकर ऑटोमोटिव, उद्योग और उपभोक्ता उत्पादों में भी इनका उपयोग हो रहा है। शोधकर्ता छात्र मनोज कुमार सिंह ने कहा कि थर्मोप्लास्टिक आधारित नैचुरल फाइबर-रीइंफोर्स्ड कंपोजिट में बायोडिग्रेडेबल और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी जैसे लाभ मिलेंगे। भारत में कई प्रकार के फाइबर से ऐसे एफआरपी विकसित कर ज्यादा लाभ की संभावना है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा होंगे। इस प्रक्रिया में ऊर्जा का उपयोग और खपत कम होने से लागत भी कम हैं।

विशेषज्ञों ने बताया कि पॉलीथिन और प्रॉपलीन जैसे थर्मोप्लास्टिक पॉलीमरों के निर्माण के लिए माइक्रोवेव एनर्जी का प्रयोग किया। इन पॉलीमरों को जूट और केनाफ से प्रबलित (रीइंफोर्स) किया गया। उन्होंने सबसे पहले फाइबर का प्री-ट्रीटमेंट कर पॉलीमर से उनके गीला होने की क्षमता सुधारी। उन्हें पॉलीमर से मिलाया और इस मिश्रण को माइक्रोवेव रेडिएशन नाम दिया गया। इस तरह तैयार कंपोजिट प्रचलित प्रक्रिया से तैयार पॉलीमर के समान थे।

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