फाल्गुन शुक्ल-एकादशी को काशी में रंगभरी एकादशी कहा जाता है. ये वो पर्व है जिसे भोले की नगरी काशी में मां पार्वती के स्वागत के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है और काशी में होली का पर्वकाल प्रारंभ हो जाता है. पौराणिक परम्पराओं और मान्यताओं के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन ही भगवान शिव माता पार्वती से विवाह के उपरान्त पहली बार अपनी प्रिय काशी नगरी आए थे. इस दिन से वाराणसी में रंग खेलने का सिलसिला प्रारंभ हो जाता है, जो लगातार 6 दिन तक चलता है. ब्रज में होली का पर्व होलाष्टक से शुरू होता है और वाराणसी में यह रंगभरी एकादशी से शुरू होता है.
सुबह नहाकर पूजा का संकल्प लें.
– घर से एक पात्र में जल भरकर शिव मंदिर जाएं.
– अबीर, गुलाल, चन्दन और बेलपत्र भी साथ ले जाएं.
– पहले शिव लिंग पर चन्दन लगाएं, फिर बेल पत्र और जल अर्पित करें.
– फिर अबीर और गुलाल अर्पित करके आर्थिक परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें.
इस दिन आंवले के पूजन के साथ ही अन्नपूर्णा की सोने या चांदी की मूर्ति के दर्शन करने की भी परंपरा है. रंगभरी आमलकी एकादशी महादेव और श्रीहरि की कृपा देने वाला संयुक्त पर्व है. आंवले के विशेष प्रयोग के साथ रंगभरी एकादशी से जुड़े कुछ चमत्कारी उपायों से आपके जीवन की बाधाएं भी दूर हो सकती हैं. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो रंगभरी एकादशी पर आंवले के पेड़ की भी उपासना की जाती है. इसलिए इस एकादशी को “आमलकी एकादशी” भी कहा जाता है. आखिर आंवले से रंग भरी एकादशी का संबंध क्या है, आइए जानते हैं…
रंगभरी एकादशी और आंवले का संबंध-
– रंग भरी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है.
– इस दिन आंवले का विशेष तरीके से प्रयोग किया जाता है.
– इससे अच्छी सेहत और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
– इसीलिए इस एकादशी को “आमलकी एकादशी” भी कहा जाता है.
महादेव और श्री हरि का ध्यान-
फाल्गुन शुक्ल की ये एकादशी आपके जीवन के सुख और संपन्नता से जुड़ी है. बाबा विश्वनाथ के विशेष श्रृंगार के इस पर्व के साथ ही इस एकादशी से श्री हरि का भी गहरा संबंध है. मान्यता है कि आमलकी एकादशी पर आंवले के पेड़ के विशेष पूजन से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
रंगभरी एकादशी पर आंवले के पेड़ की पूजा-
– सुबह आंवले के पेड़ में जल डालें.
– पेड़ पर फूल, धूप, नैवेद्य अर्पित करें और पेड़ के पास एक दीपक भी जलाएं.
– पेड़ की सत्ताइस बार या 9 बार परिक्रमा करें.
– सौभाग्य और अच्छी सेहत के लिए प्रार्थना करें.
– आंवले का पौधा लगाएंगे तो और भी अच्छा रहेगा.
रंगभरी एकादशी पर आंवले का प्रयोग-
माना जाता है कि आंवले की उत्पत्ति भगवान विष्णु के द्वारा हुई थी. इस दिन आंवले के दान से गौ दान का फल मिलता है. इसलिए आंवले का सेवन और दान करें. कनक धारा स्तोत्र का पाठ करें. हर तरह की दरिद्रता का नाश होगा.
रंगभरी एकादशी पर दूर होगी विवाह बाधा-
– रंग भरी एकादशी के दिन उपवास रखें.
– सूर्यास्त के बाद भगवान शिव और पार्वती की संयुक्त पूजा करें.
– पूजा के बाद उनको गुलाबी रंग का अबीर अर्पित करें.
– सुखद वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करें.
स्वास्थ्य बाधाओं को दूर करने का उपाय–
– रंगभरी एकादशी के दिन मध्य रात्रि में शिव जी की पूजा करें.
– शिव जी को जल और बेल पत्र समर्पित करें.
– इसके बाद लाल, पीला और सफ़ेद रंग का अबीर शिव जी को अर्पित करें.
– फिर “ॐ हौं जूं सः” की 11 माला का जाप करें.
रोजगार प्राप्ति के लिए उपाय-
– रंग भरी एकादशी के दिन बिना अन्न का उपवास रखें.
– मध्य दोपहर या मध्य रात्रि के समय भगवान शिव की पूजा करें.
– भगवान शिव के समक्ष दीपक जलाएं, उन्हें हरे रंग का अबीर अर्पित करें.
– कम से कम तीन माला “नमः शिवाय” का जाप करें.