कांग्रेस के कद्दावर नेता भी जहां भोपाल सीट पर लड़ने से कतरा रहे हैं तो वहीं बीजेपी के लिए यह सीट एक अनार सौ बीमार जैसी हो गई है. इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि यहां से पार्टी पिछले तीस सालों से अजेय है. आलम ये है कि 1989 से हुए चुनावों में पार्टी के कैंडिडेट बदलते रहे, लेकिन किसी को भी हार का मुंह नहीं देखना पड़ा. यहां तक कि नरेंद्र सिंह तोमर जैसे दिग्गज के भी भोपाल सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा का यही कारण है कि उनकी ग्वालियर संसदीय सीट के तहत आने वाली 7 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस कब्जा जमा चुकी है.
भोपाल सीट से बीजेपी के मौजूदा सांसद आलोक संजर कहते हैं कि इस सीट से चेहरा नहीं, बीजेपी के विचार चुनाव लड़ते हैं. चेहरा जीतता या विचार इसका जवाब तो जनता ही दे सकती है, लेकिन इस सीट के पीछे बीजेपी नेताओं में हो रही रस्साकशी बता देती है कि यहां के चुनावी आंकड़े ही वो वजह हैं, जो पार्टी के हर चेहरे को यहां से चुनावी दांव आजमाने को मजबूर कर रहे हैं