लोकसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नजर इस बात पर रहेगी कि भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला करने में विभाजित विपक्ष कितना कामयाब रहता है. प्रदेश की 80 में से ज्यादात्तर सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन में त्रिकोणीय मुकाबला है. जहां प्रदेश में तीनो विपक्षी दलों ने वोट को बंटने को नजर अंदाज किया है, वहीं पिछले आंकड़ें देखें तो इस संभावना से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि इस बार भी वोट बंट जाएंगे. साल 2014 के लोकसभा चुनाव में 80 सीटों वाले राज्य में विपक्षी दलों के वोटों का एक हिस्सा भाजपा के खाते में चला गया था.पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़े देखें तो भाजपा और इसके साथी दलों ने 43 फीसदी वोट पाकर कुल 91 फीसदी सीटें अपने खाते में की थी. 80 में से भाजपा ने 71 और उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी.
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को कुल 50 फीसदी वोट मिले थे. लेकिन सीटों की बात करें तो समाजवादी पार्टी को पांच सीटें, कांग्रेस के हिस्से में दो सीटें आई थीं, वहीं मायावती एक भी सीट हासिल करने में नाकाम रही. इसके बावजूद भी तीनों ने पार्टी ने एक साथ चुनाव नहीं लड़ा. इस बार एक दूसरे की विरोधी रही मायावाती की बसपा और अखिलेश यादव की सपा ने भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए हाथ मिलाया है. हालांकि, उन्होंने कांग्रेस को इस गठबंधन से बाहर रखा. इस दौरान सपा-बसपा की ओर से कहा गया कि कांग्रेस की हमें जरूरत नहीं है, हम अकेले ही भाजपा को हराने में सक्षम हैं. अब कांग्रेस 80 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने जा रही है. हालांकि, कांग्रेस ने प्रदेश के कई छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है.
कांग्रेस द्वारा सपा-बसपा गठबंधन के लिए यूपी में सात सीटें छोड़ने पर मायावाती और अखिलेश यादव दोनों ने कांग्रेस पर निशाना साधा है. मायावती ने सोमवार को ट्वीट करते हुए कहा था, ‘कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहां की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े अर्थात हमारा यहां बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है. कांग्रेस जबर्दस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रान्ति ना फैलाये.’
मायावती के बाद अखिलेश यादव ने उनकी बात से सहमति जताई और ट्वीट किया, ‘उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और आरलेडी का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है. कांग्रेस पार्टी किसी तरह का कन्फ्यूजन न पैदा करे!’ इसके बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने दोनों को जवाब देते हुए कहा कि हम लोगों का एक ही मकसद है भाजपा को हराना. बसपा सुप्रीमो और सपा प्रमुख की सख्त प्रतिक्रिया पर सवाल पूछे जाने पर प्रियंका गांधी ने कहा, ‘हम किसी को परेशान नहीं करना चाहते, हमें किसी के साथ कोई दिक्कत नहीं है. हमारा मकसद भाजपा को हराना है, यही मकसद उन लोगों का है