हिमाचल के तीन किसानों ने पहाड़ी जड़ी-बूटियों से एक हर्बल कीटनाशक तैयार किया है। ये सेब के साथ अन्य फल-सब्जियों में लगी बीमारियों का खत्म करेगा। इस कीटनाशक के इस्तेमाल से इंसानों की सेहत पर कोई कुप्रभाव नहीं पड़ेगा। प्रयोगशाला में दवा का सैंपल पास होने के बाद केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इसके इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। अब इस कीटनाशक के पेटेंट की तैयारी चल रही है।
तीन दिन पहले किसान दिव्या शर्मा, रोशन लाल और किशन ठाकुर को गुजरात के गांधीनगर में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 10वें नेशनल इनोवेशन ग्रासरूट अवार्ड से सम्मानित किया। जिला कुल्लू की सैंज घाटी के हुरचा निवासी तीनों किसानों ने बताया कि वे वर्ष 2010-11 से इस कीटनाशक पर काम कर रहे थे। अब जाकर उन्हें सफलता मिली है। मंत्रालय के नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) के साथ इस स्प्रे दवा का निर्माण किया गया है।
एनआईएफ देहरादून के इनोवेशन एसोसिएट विपिन ने बताया कि जड़ी-बूटियों से तैयार किया हर्बल पेस्टीसाइड और फंगीसाइड दवाइयों का अब पेटेंट होगा। इसके बाद इसे पूरे देश में बेचा जा सकेगा। दिव्या शर्मा, रोशन लाल और किशन ठाकुर ने हर्बल कीटनाशक और फंगीसाइड स्प्रे दवा को नीली काथी, हरेरा फूल, पिरपिरी, बेशर्म बूटी, खनोर, दुधी माउरा, कौड़ा कठ और हजरी माउरा नामक जड़ी-बूटियों से तैयार किया गया है। हर्बल स्प्रे को 2017 में हिमाचल, गुजरात, और जम्मू-कश्मीर की प्रयोगशाला में भेजा गया। कई बदलाव और प्रयासों के बाद अब इसे हरी झंडी मिल गई है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय से हरी झंडी मिलने के बाद अब हर्बल दवाइयों को अक्तूबर में होने वाले अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में विधिवत लांच किया जाएगा। हर्बल स्प्रे को बाजार में मिलने वाले रसायनिक कीटनाशकों से सस्ता देने की योजना है।