ऊना। क्षेत्र के मवा कहोलां गांव में बाबा फकीर चंद महाराज के सानिध्य में श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन ऋषि वेदमंजरी महाराज (वृंदावन वाले) ने कंस वध और रुक्मणी विवाह के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने बताया कि जब तक भगवान वृंदावन में रहे तब तक उन्होंने मुकुट नहीं लगाया, अपितु मोर पंख लगाया और ब्रह्मचर्य का पालन किया।
उन्होंने भगवान कृष्ण की गोपियों के साथ रासलीला के बारे में भी विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि कंस को इतना घमंड था कि वे भगवान का भी वध करने के लिए उतारू था। तब भगवान ने उसका घमंड तोड़ कर उसका उद्धार किया। उन्होंने कृष्ण रुक्मणी विवाह के प्रसंग को अति सहज और मधुर भाव से सुनाया। इसे सुनकर संगत भागवत रंग में रंग गई। कृष्ण-रुक्मणी विवाह के अवसर पर मनोहर झांकी निकाली गई। श्रीकृष्ण-रुक्मणी का स्वयंवर मंच सजाया गया। उन्होंने कृष्ण और बलराम के बाल लीलाओं का भी मधुर प्रस्तुतीकरण किया। इस अवसर पर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुरेश शारदा, कर्म सिंह, मनमोहन सिंह, गुरदीप सिंह, प्रीतम सिंह, प्रभात सिंह, केवल शारदा, जोगिंद्र पाल, सहदेव, अजय पाल, संजय पुर्जा, गरीबदास आदि उपस्थित रहे।