पूर्व केंद्रीय मंत्री अपने दादा पंडित सुखराम के साथ कांग्रेस में शामिल हुए आश्रय शर्मा ने कहा कि उन्होंने टिकट के लिए नहीं, बल्कि सम्मान के लिए भाजपा छोड़ी है। कांग्रेस को ज्वाइन करने से पहले न तो टिकट की बात की है और न ही उन्हें ऐसा कोई आश्वासन मिला है। आश्रय का कहना है कि कांग्रेस टिकट किसी और को भी देती है तो भी वह और पंडित सुखराम उसी उम्मीदवार के लिए काम करेंगे। आश्रय शर्मा ने मंगलवार को अमर उजाला से विशेष बातचीत में कहा कि भाजपा में ऊपर से लेकर नीचे तक जुमले ही जुमले हैं।
चुनाव लड़ने के इरादे पर आश्रय ने कहा कि जो राजनीति में आता है, वह चुनाव तो लड़ता ही है। ऐसा हो सकता है कि कोई रसोइया बोले कि मैं रसोई नहीं बनाऊंगा।टिकट की बात पर उन्होंने कहा कि अंतिम फैसला कांग्रेस हाईकमान को लेना है। आश्रय बोले-पिछली बार हम पर आरोप लगा कि सत्ता के लालच में हम भाजपा में आए, लेकिन बात लालच की नहीं, मान-सम्मान की है। जयराम सरकार में ऊर्जा मंत्री अपने पिता अनिल शर्मा को विश्वास में लिए बगैर कांग्रेस में लौटने के सवाल पर आश्रय बोले -अनिल शर्मा एंटी डिफेक्शन लॉ में बंधे हैं, इसलिए वह कोई भी बात साफ-साफ नहीं कह पा रहे। वह मर्यादा से मुक्त होंगे, तभी स्पष्ट बात कर पाएंगे।
कहा -कोई भी पिता अपने बेटे के खिलाफ नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले उनकी वीरभद्र सिंह से भी बात हुई है। वीरभद्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। उन्होंने कांग्रेस में आने पर पंडित सुखराम का स्वागत किया है। मैं विक्रमादित्य से भी दिल्ली में मिला हूं।आश्रय ने कहा कि पिछली बार कुछ कांग्रेस पार्टी के मित्रों से मनमुटाव के चलते भाजपा ज्वाइन की थी। उस समय पंडित सुखराम या अनिल शर्मा किसी भी वरिष्ठ नेता से नहीं मिले। केवल मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मिला था।
वहां मंगल पांडे, अनुराग ठाकुर और सतपाल सत्ती भी थे। इन सबकी मौजूदगी में शाह ने कहा था कि आपको पूरा सम्मान मिलेगा। पंडित सुखराम की वजह से ही मंडी में भाजपा को इतनी बढ़त मिली। हमने तब भी न तो मंत्री पद मांगा था और न ही कोई शर्त रखी थी।
दुख इस बात का रहा कि जब मैंने पार्टी के लिए 15 हलकों में प्रचार किया तो भी मैंने कहीं दावेदारी की बात नहीं की। मैंने भाजपा के लिए वोट मांगे। सतपाल सत्ती ने भाजपा के जिला और मंडल के पदाधिकारियों को कहा कि अगर आप आश्रय के कार्यक्रमों में गए तो कार्रवाई होगी। यहां तक कहा कि पंडित सुखराम और आश्रय पार्टी के सदस्य ही नहीं हैं। इससे पता चलता है कि भाजपा में जुमले ही जुमले भरे हैं। भाजपा में मेरे पिता ने जब टिकट की बात की तो उनको कार्रवाई तक की चेतावनी दे दी गई।