Home क्लिक डिफरेंट पीठ पर कागज की मछली चिपकाकर चिल्लाते हैं‘अप्रैल फिश’, दिलचस्प है परंपरा….

पीठ पर कागज की मछली चिपकाकर चिल्लाते हैं‘अप्रैल फिश’, दिलचस्प है परंपरा….

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मूर्ख दिवस यानी अप्रैल फूल्स डे के दिन लोग दूसरों को मूर्ख बनाते हैं और खुद भी बनकर फूल्स डे एंज्वॉय करते हैं। कई देशों में हर साल 1 अप्रैल को अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। कहीं-कहीं इसे ऑल फूल डे भी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं और जोक्स कहते-सुनते हैं। इस दिन जो बेवकूफ बन जाता है उसे ‘अप्रैल फूल’ कहकर सब चिढ़ाते हैं। अप्रैल फूल डे का थीम यही है कि जिंदगी में खोए हुए खुशियों को पल को वापस लाएं और तनाव मुक्त होकर निरोग जीवन जीने के तरफ एक कदम और बढ़ाएं। अलग-अलग देशों में इसे मनाने का तरीका और इतिहास भी अलग है। जानिए इनके बारे में…

कहा जाता है कि 1564 से पहले यूरोप के अधिकांश देशों मे एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था, जिसमें नया वर्ष पहली अप्रैल से आरंभ होता था। वहां के राजा चार्ल्स नवम् ने एक बेहतर कैलंडर को अपनाने का आदेश दिया। इस नए कैलंडर में पहली जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था। लोगों ने इस नए कैलंडर को अपना लिया, लेकिन कुछ लोगों ने इस नए कैलंडर को अपनाने से इंकार कर दिया वे पहली जनवरी को वर्ष का नया दिन मानकर पहली अप्रैल को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे।

फ्रांस और इटली में बच्चे कागज की मछली बनाते हैं और फिर उसे एक-दूसरे की पीठ पर चिपकाते हैं। इसके बाद चिल्लाते हैं ‘अप्रैल फिश’। न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किए जाते हैं और अगर कोई दोपहर के बाद इस तरह की कोशिश करता है तो उसे अप्रैल फूल कहा जाता है। फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान, रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में जोक्स का सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है।

ब्रिटेन के लेखक चॉसर ने अपनी पुस्तक कैंटरबरी टेल्स में लिखा कि 13वीं सदी में इंग्लैंड के राजा रिचर्ड सेकेंड और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई 32 मार्च 1381 को आयोजित किए जाने की घोषणा की जाती है। कैंटरबरी के जन-साधारण इसे सही मान लेते हैं, यद्यपि 32 मार्च तो होता ही नहीं है। इस प्रकार इस तिथि को सही मानकर वहां के लोग मूर्ख बन जाते हैं, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस अर्थात अप्रैल फूल डे मनाया जाने लगा। वैसे तो अप्रैल फूल डे पश्चिमी सभ्यता की देन है लेकिन यह विश्व के अधिकांश देशों सहित भारत में भी धूमधाम से मनाया जाता है।

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