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शंख ध्वनि से हुआ नव संवत्सर का स्वागत घर-घर शुरू हुई देवी की आराधना…

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भोपाल। गुड़ी पड़वा, चेट्रीचंड और विक्रम नवसंवत्सर 2076 का शुभारंभ आज से हो गया। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्र भी शुरू हो गए हैं। देवी मंदिरों और घरों में घट स्थापना और अखंड ज्योति के साथ पहले दिन मां शैलपुत्री की विशेष पूजा-अर्चना की जा रही है। सोमवारा स्थित मां भावनी मंदिर, काली मंदिर, टीन शेड स्थित माता मंदिर, झरनेश्वर स्थित माता मंदिर, अशोका गार्डन दुर्गाधाम मंदिर सहित शहर के अन्य देवी मंदिरों में मां का विशेष शृंगार किया गया है।

शहर की धार्मिक संस्थाओं द्वारा गुड़ी पड़वा और विक्रम नवसंवत्सर का स्वागत शंख ध्वनि से किया गया। पंडित विष्णु राजौरिया ने बताया कि इस बार में कई शुभ संयोग बन रहे हैं, जो साधक और श्रद्धालुओं की आध्यात्मिक उन्नति के लिए बेहतर अवसर प्रदान करेंगे। इधर, दादाजी धाम में शतचंडी महारुद्र यज्ञ आज से शुरू होगा। इसके अलावा कोटरा, न्यू मार्केट, सोमवारा आदि स्थानों पर श्रद्धालुओं ने ओम लिखे गुब्बारे छोड़ें। बजरंग दल व विश्व हिंदू परिषद द्व‌ारा भगवा ध्वज फहराए गए और तिलक लगाकर लोगों को नए साल की शुभकामनाएं दी गईं। गायत्री शक्तिपीठ और उससे जुड़ी संस्था के मीनाल, बरखेड़ा, कोलार, सेमरा समेत कई स्थानों पर दीप जलाकर आतिशबाजी की जाएगी।

मराठी समाज की महिलाओं ने नई पीढ़ी को गुड़ी बनाना सिखाया : जीवनशैली की चकाचौंध में नई पीढ़ी संस्कृति और रीति रिवाजों को भूलती जा रही है। नई पीढ़ी को भारतीय परंपरा और संस्कृति से अवगत करने के लिए आदर्श नगर की मराठी महिलाओं ने गुड़ी पड़वा की पूर्व संध्या पर धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किया। महिलाओं ने नई पीढ़ी को परंपरा के अनुसार गुड़ी बनाने और उसके पूजन की जानकारी दी। होशगांबाद रोड स्थित आदर्श नगर आवसीय कॉलोनी की महिलाओं ने गुड़ी पड़वा की पूर्व संध्या पर धार्मिक क्विज का आयोजन किया, जिसमें गुड़ी पड़वा से संबंधित प्रश्न पूछे गए। कार्यक्रम में पूर्वा, ईशा, सुचेता, योगिता उपस्थित थीं।

ऐसे बनाते हैं गुड़ी : महाराष्ट्रीयन समाज के मिलिंद कुलकर्णी ने बताया कि गुड़ी पड़वा पर विशेष तरीके से गुड़ी बनाई जाती है। एक बांस में चांदी अथवा तांबे का कलश उल्टा लगाकर उस पर नए कोरे कपड़े से बांधकर नीम या आम की पत्तियां बांधी जाती है। उसके बाद उसे सजाकर उसकी पूजा की जाएगी।

हर दिन शुभ योग का संयोग 

  • 6 अप्रैल- घट स्थापना और रेवती नक्षत्र
  • 7 अप्रैल- सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 8 अप्रैल- कार्य सिद्धि प्रीति योग
  • 9 अप्रैल- सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 10 अप्रैल- लक्ष्मी पंचमी,सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 11 अप्रैल- रवियोग
  • 12 अप्रैल- सप्तमी तिथि सर्वार्थ सिद्धि योग
  • 13 अप्रैल- सुकर्मा योग
  • 14 अप्रैल- रवि पुष्य व सर्वार्थ सिद्धि योग

पूर्णिमा का चांद चित्रा नक्षत्र के करीब होता है इसलिए पहले महीने का नाम चैत्र : हिंदू कैलेंडर में महीनों के नाम वैज्ञानिक आधार पर रखे गए हैं। चंद्रमा 27 से 29 दिन में पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करता है और हर रात एक अलग तारा समूह के बीच नजर आता है। इन तारा समूहों को नक्षत्र कहते हैं। इनकी संख्या 27 है। इनके अलग-अलग नाम हैं। पूर्णिमा (पूरा चांद) के दिन चंद्रमा जिस नक्षत्र के पास होता हैै, उसी के नाम पर महीने का नाम रखा गया है। जैसे पहले महीने का नाम चैत्र इसलिए है, क्योंकि इस माह में पूर्णिमा का चंद्रमा चित्रा नक्षत्र में होता है। विशाखा नक्षत्र के नाम पर दूसरे महीने का नाम वैशाख है। उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने इसी माह के पहले दिन विक्रम संवत कैलेंडर आरंभ किया था। आज से 2076वां वर्ष शुरू हो रहा है।

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