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चीन ने बिगाड़ा कमलनाथ के बहनोई की कंपनी का खेल, ये है पतन की कहानी..

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के ओएसडी (विशेष कार्याधिकारी) प्रवीण कक्कड़ और रिश्तेदारों के यहां आयकर विभाग की छापेमारी के बाद देश की सियासत में उबाल सा आ गया है. आयकर विभाग ने इस कार्रवाई के दौरान एक कंपनी के नोएडा स्थित प्‍लांट पर भी छापेमारी की है. यह कंपनी मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री कमलनाथ के बहनोई दीपक पुरी की है. इस कंपनी का नाम मोजरबियर इंडिया लिमिटेड है.

किसी जमाने में प्रमुख ऑप्टिकल डिस्क निर्माता कंपनी रही मोजरबियर अब दिवालिया हो चुकी है. इस कंपनी की सफलता जितनी शानदार रही है, पतन उतना ही डरावना है. इस कंपनी के पतन में चीन का भी बड़ा योगदान रहा.1983 में दीपक पुरी की अगुवाई में दिल्‍ली से शुरुआत करने वाली मोजर बियर इंडिया लिमिटेड  कुछ ही साल में विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सीडी और डीवीडी के उत्पादन करने वाली कंपनी बन गई. कंपनी की वेबसाइट के मुताबिक मोजर बियर दुनिया की हर 5वीं डिस्‍क मैन्‍युफैक्‍चर करती थी. 1993 में दीपक पुरी के बेटे और कमलनाथ के भांजे रातुल पुरी ने मोर्चा संभाला. तब कंपनी ने रातुल पुरी की अगुवाई में मोबाइल के मेमोरी कार्ड, एलईडी बल्‍ब और सोलर प्लांट का भी उत्पादन शुरू कर दिया .

मोजर बियर ने कारोबार का विस्‍तार दिल्‍ली के अलावा एनसीआर-नोएडा, ग्रेटर नोएडा में भी किया. इसके बाद मोजर बियर ने 2006 में होम एंटरनेटमेंट बिजनेस में एंट्री की. कंपनी के बैनर तेल हिंदी और भोजपुरी फिल्‍में भी बनीं. एक समय कंपनी में 11 हजार स्थायी और चार हजार अस्थायी कर्मचारी थे. लेकिन धीरे-धीरे कंपनी की स्थिति बिगड़ती चली गई. रातो-रात कंपनी के हजारों कर्मचारी बेरोजगार हो गए. मोजर बियर के पतन में सबसे बड़ा योगदान भारतीय बाजार में चीन का दखल था. फोर्ब्‍स इंडिया पत्रिका के मुताबिक चीन ने इंडियन मार्केट और कस्‍टमर को सीडी और डीवीडी के सस्‍ते और बेहतर विकल्‍प देने शुरू किए. इसका असर यह हुआ कि मोजर बियर इस मार्केट में पिछड़ती चली गई. इसके अलावा इंटरनेट और स्‍मार्टफोन की क्रांति की वजह से भी कंपनी को बड़ा नुकसान हुआ. लोगों की दिलचस्‍पी सीडी और डीवीडी में न होकर वीडियो और डाउनलोडिंग में बढ़ गई. मोजरबियर ने जब 2005 में सोलर बाजार में हाथ आजमाया तो चीन ने यहां भी उसे शिकस्‍त दी.

2018 में नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) ने मोजर बियर इंडिया लिमिटेड कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया था. इस कंपनी पर तब करीब 4 हजार 356 करोड़ रुपये का कर्ज था. आर्थिक संकट के चलते मोजर बियरको 3 नवंबर, 2017 को बंद कर दिया गया था अक्‍टूबर 2018 में बंबई शेयर बाजार (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) ने मोजर बियर इंडिया के शेयरों में कारोबार रोकने का ऐलान किया. इसका मतलब यह हुआ कि शेयर बाजार में इस कंपनी का वजूद नहीं रह गया है और कोई मोजर बियर के शेयर की खरीद-बिक्री नहीं कर सकता है.

एनसीएलटी द्वारा दिवालिया घोषित किए जाने से कंपनी में कार्यरत 10 हजार से भी अधिक कर्मचारी सड़क पर आ गए. कर्मचारियों को वेतन भी नहीं मिला था. कर्मचारियों ने वेतन को लेकर कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का फैसला किया. मामला अब भी कोर्ट में चल रहा है.

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