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ई-टेंडर घोटाले में आरोपी ऑस्मो कंपनी के संचालकों को कोर्ट ने तीन दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा…

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ई-टेंडरिंग घोटाले में आरोपी ऑस्मो कंपनी के तीन संचालकों को कोर्ट ने 15 अप्रैल तक की पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। इसके पहले पुलिस ने शुक्रवार को तीनों संचालकों को कोर्ट में पेश किया था और कोर्ट से पूछताछ के लिए समय मांगा था। इन्हें गुरुवार को ईओडब्लयू ने गिरफ्तार किया था। इधर, ईओडब्ल्यू ने सभी विभागों से ई-टेंडर का ब्योरा मांगा है।

ई-टेंडरिंग घोटाले में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो यानी ईओडब्लयू की टीम ने ऑस्मो कंपनी के तीन डायरेक्टर विनय चौधरी, वरुण चौधरी और सुमित गोलवलकर (मार्केटिंग) को विन को गिरफ्तार किया था। ईओडब्लयू की टीम ने उन्हें भोपाल में मानसरोवर कॉम्पलेक्स स्थित कंपनी के ऑफिस में जांच के लिए पहुंचीं थी। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि कंपनी केवल डिजिटल सिग्नेचर ही नहीं बनाती है, बल्कि अखबार भी निकालती है, जिसमें टेंडर्स की जानकारी दी जाती है।

जानकारी के मुताबिक, जिन पर एफआईआर हुई है, उनमें जल निगम, पीडब्ल्यूडी, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम, जल संसाधन विभाग के अफसरों के साथ ही 8 कंपनियों के निदेशक भी शामिल बताए जा रहे हैं।

ई-टेंडर घोटाले की जांच लंबे समय से अटकी हुई थी। इसमें जल निगम के तीन हजार करोड़ रुपए के तीन टेंडर में पसंदीदा कंपनी को काम देने के लिए टेंपरिंग करने का आरोप था। ईओडब्ल्यू ने कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम को एनालिसिस रिपोर्ट के लिए 13 हार्ड डिस्क भेजी थी। इसमें से तीन में टेंपरिंग की पुष्टि हो चुकी है।

ई-टेंडर घोटाले में कथित तौर पर भूमिका होने के आरोपों से घिरीं पूर्व मंत्री कुसुम मेहदेले ने शुक्रवार को खुद पर लगे आरोपों को नकारते हुए कहा कि ई टेंडरिंग में मंत्रियों की कोई भूमिका नहीं होती। मेहदेले ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि ई-टेंडर में मंत्रियों की कोई भूमिका नहीं होती, यह पूरी तरह तकनीकी काम होता है। ई टेंडरिंग में कथित तौर पर कुछ तत्कालीन मंत्रियों के हस्ताक्षर होने की खबरों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि उसमें किसी के भी हस्ताक्षर नहीं होते।

कांग्रेस सरकार में मंत्री गोविंद सिंह का कहना है कि लोकसभा चुनाव के बाद समय मिलते ही भाजपा सरकार में हुए तमाम घोटालों का पर्दाफाश करेंगे। उनका कहना है कि मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक नहीं हजारों घोटाले किए हैं। अब भाजपा का कच्चा चिट्ठा खुल रहा है। लोकसभा के बाद फुर्सत में घोटालों को उजागर करेंगे। उसमें शामिल होंगे वो जेल की हवा खाएंगे। घोटालेबाजों की गैंग के सरगना पूर्व सीएम शिवराज हैं। दिग्विजय के शासनकाल पर भाजपा ने खूब आरोप लगाए। पहले उमा भारती ने फिर शिवराज ने जांच कमेटी बैठाई लेकिन कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह का कहना है कि मेरे ऊपर लगे आरोपों की जांच का स्वागत है। लेकिन, सबसे बड़ी घोटाले बाज तो कांग्रेस है। प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती है।

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