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दान के 35 करोड़ रुपए से विदिशा में बन रहा है देश का पहला 108 फीट ऊंचा समवशरण मंदिर…

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जैन समाज के 10वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की गर्भ, जन्म, तप और ज्ञान कल्याणक की सिद्ध भूमि शीतलधाम विदिशा में करीब 35 करोड़ रुपए की लागत से देश का पहला 108 फीट ऊंचा समवशरण मंदिर बन रहा है। साल 2012 से इसका निर्माण कार्य राजस्थान के सेंड स्टोन को तराशकर करवाया जा रहा है। साल 2020 तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा। इस समवशरण में एक साथ सभी 24 तीर्थंकरों के अलावा भगवान का पूरा दरबार रहेगा। इस समवशरण के अंदर कोई भी स्तंभ नहीं रहेगा। पत्थरों में किसी प्रकार का जोड़ नहीं लगेगा।

इसमें सीमेंट, गारे, सरिया और किसी अन्य सामग्री का इस्तेमाल भी नहीं किया गया है। शीतलधाम की 18 बीघा जमीन में पूरा मंदिर परिसर विकसित किया जा रहा है। विदिशा से भोपाल के बीच ट्रेन से जाने वाले लोगों को मंदिर का निर्माण अभी से आकर्षित करने लगा है। साल  2008 अप्रैल में आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने इसका शिलान्यास किया था। समाज के लोग दान की राशि एकत्रित कर मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं। समवशरण मंदिर गोलाई के रूप में होगा। हाल के बीचों-बीच समवशरण की मुक्ति वेदी होगी जिस पर चारों दिशाओं में श्रीजी की प्रतिमा विराजमान होगी। इसके चारों ओर त्रिकाल चौबीसी की 72 जिन प्रतिमाएं विराजमान होंगी। जैन समाज की संस्कृति एवं इतिहास को सुरक्षित करने के लिए इस विशाल मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है।

समवशरण मंदिर का डिजाइन अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के आर्किटेक्ट वीके त्रिवेदी ने किया है। त्रिवेदी द्वारा अक्षरधाम मंदिर की डिजाइन को पूरी दुनिया में सराहना मिली है। मंदिर के निर्माण में रिएक्टर स्केल पर 8 मैग्निट्यूड के भूकंप निरोधी तकनीक का प्रयोग किया गया है। मंदिर की नींव जमीन से 27 फीट गहरी है जिसमें लगभग 250 पिलर भरे गए हैं। मंदिर से जुड़े इंजीनियरों का दावा है कि ऐसी नींव शायद विश्व के बहुत कम भवनों की है।

विदिशा के हरिपुरा स्थित समवशरण मंदिर की ऊंचाई 108 फीट रहेगी। साथ ही मंदिर का व्यास 160 फीट है।  मंदिर के निर्माण में लागत करीब 35 करोड़ आएगी। मंदिर में 150 कारीगर काम कर रहे हैं। 108 फीट ऊंचे मान स्तंभ भी बनेंगे। एक सहस्त्रकूट जिनालय बनेगा। गोलाकार हॉल के बाहर चारों तरफ 12 फीट की चौड़ी परिक्रमा दालान होगी, जो 108 अलंकृत स्तंभों से पूर्ण होगी। समवशरण भारत की संसद जैसा दिखेगा।

मंदिर का निर्माण राजस्थान के वंशी पहाड़पुर के लाल पत्थरों से हो रहा है। मंदिर में लगने वाले पत्थरों पर बारीकी से नक्काशी की जा रही है। 2 लाख घन फीट पत्थर से मंदिर का निर्माण होगा। नींव में ही 3325 ट्रक अलंगे, रेत, जीरा गिट्टी एवं पत्थर लग चुके हैं।

जैन समाज के प्रवक्ता अविनाश जैन बताते हैं कि समवशरण में भगवान का दरबार लगता है। इसमें दिव्य ध्वनि गुंजित होती है। जब भगवान को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हो जाती हैं तो समवशरण में उनके गणधरों द्वारा जो भगवान की दिव्य ध्वनि  आती है, उसे समझकर उस वाणी को जिसे सभा में यदि समझ नहीं आती है तो उस जीव को उसकी भाषा में समझाया जाता है। इस धर्म सभा में सभी 12 सभा के जीव होते हैं

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