Home हिमाचल प्रदेश हाटी समुदाय को कोई भी PM नहीं दिला पाया जनजातीय दर्जा…

हाटी समुदाय को कोई भी PM नहीं दिला पाया जनजातीय दर्जा…

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पहले मनमोहन सिंह और अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक सिरमौर जिले के गिरिपार को जनजातीय दर्जा दिलाने की फरियाद लगाई गई, लेकिन आज तक हाटी समुदाय अपने हक के लिए लड़ रहा है। 1299 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले गिरिपार में सवा लाख वोटर और पौने तीन लाख की आबादी है। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद जनजातीय दर्जे का मामला महापंजीयक भारत सरकार (आरजीआई) के कार्यालय में अटका हुआ है।

लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव नेताओं ने इस मुद्दे को खूब भुनाया, लेकिन चुनाव में जीतने के बाद इनकी किसी को याद नहीं आई। चुनावी फिजा में अब नेताओं ने इस मुद्दे को फिर हवा दे दी है। वोटर भी अब इस मुद्दे पर नेताओं से अपना स्पष्ट रुख चाह रहे हैं। गिरिपार का हाटी समुदाय उत्तराखंड के जोंसार बाबर क्षेत्र के जोंसारी समुदाय की तर्ज पर मांग कर रहा है। 1815 में सिरमौर रियासत से अलग होने वाला जोंसार बाबर को 1967 में केंद्र सरकार ने जनजाति का दर्जा दिया था। जोंसार बाबर और सिरमौर के गिरिपार की लोक संस्कृति, लोक परंपरा, रहन-सहन एक समान है। दोनों समुदायों में दाईचारे (भाईचारे) का रिश्ता है। दोनों के वंशज एक ही माने जाते हैं। इनके गांवों के नामों और भाषा में भी समानता है। गिरिपार को उतरोऊ और जांसार बाबर का उतलेऊ इसके उदाहरण है।

सितंबर 2018 में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने स्वयं हाटी मुद्दे को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह से चर्चा की। छह दिसंबर 2018 को सांसद वीरेंद्र कश्यप के नेतृत्व में केंद्रीय हाटी समिति का एक प्रतिनिधिमंडल गृहमंत्री से मिला। आरजीआई को गृहमंत्री ने जल्द कार्यवाही के निर्देश दिए। लेकिन, फाइल नहीं बढ़ पा रही। हाटी समिति ने 21 फरवरी 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और 14 फरवरी 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात भी की। इससे पहले की सरकारों के प्रयास भी नाकाफी रहे।सिरमौर जिले की कुल 25 पिछड़ी पंचायतों में से 23 पंचायतें गिरिपार क्षेत्र में आती हैं। हाटी समिति के अनुसार प्रतिव्यक्ति आय में जनजातीय जिला किन्नौर की 2,17993 रुपये के मुकाबले सिरमौर की प्रतिव्यक्ति आय महज 31,348 रुपये है। यदि पांवटा और नाहन को अलग किया जाए तो यहां की प्रतिव्यक्ति आय महज दस हजार रह जाती है। औद्योगिक क्षेत्र और उपजाऊ कृषि भूमि पांवटा और नाहन तहसीलों में ही पड़ती है।

लोकूर कमीशन के अनुसार जनजातीय शोध संस्थान शिमला ने दो अगस्त 2016 को अपनी रिपोर्ट हिमाचल सरकार को सौंपी। तीन अगस्त को हिमाचल मंत्रिमंडल ने सर्वे रिपोर्ट के साथ प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा। जिस पर आरजीआई ने तीन सवालों के जवाब मांगे। इनमें गिरिपार क्षेत्र की पंचायतों के अनुसार जनसंख्या, गिरिपार और जोंसार बाबर क्षेत्र का साथ लगता भौगोलिक नक्शा और राज्यपाल की संस्तुति शामिल है। ये शर्तें राज्य सरकार पूरी कर चुकी है फिर भी मामला आरजीआई के पास लंबित है।

केंद्रीय हाटी समिति के अध्यक्ष अमीचंद और महासचिव कुंदन सिंह शास्त्री का कहना है कि गिरिपार क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति और परंपराएं तभी बचेंगी जब हाटी समुदाय को जनजाति का विशेष दर्जा मिलेगा। चुनाव में सभी राजनीतिक दल हाटी मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करें। मन बहलाने वाली बात अब नहीं चलेगी। केंद्र में बनने वाली नई सरकार से हाटी समिति संपर्क करेगी। बात नहीं बनी तो अंतिम विकल्प न्यायालय में जाने का रहेगा।

गिरिपार को एसटी दर्जा देने का मुद्दा भाजपा सरकार ने गंभीरता से उठाया है। सांसद वीरेंद्र कश्यप ने मामले को केंद्र तक पहुंचाने के भरसक प्रयास किए। इतनी लंबी प्रक्रिया पूरी करने में सांसद का अहम योगदान रहा है। कांग्रेस प्रत्याशी जब सांसद थे तो उन्होंने कभी इस मुद्दे का जिक्र तक नहीं किया। मैं सांसद बना तो संसद में मामला उठाऊंगा। विधानसभा में भी मैंने मामला उठाया था। इस मांग को पूरा करने के हर संभव प्रयास होंगे।  सुरेश कश्यप, भाजपा प्रत्याशी प्रदेश की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ही प्रस्ताव पारित कर मामला केंद्र को भेजा था। गिरिपार जनजाति दर्जा हासिल करने का हकदार है। जोंसार बाबर और गिरिपार की संस्कृति, रहन-सहन आदि एक समान है। इस मामले को गंभीरता से लिया जाएगा। चुनाव में जीत मिली तो गिरिपार को एसटी का दर्जा देने का मामला संसद में जोरशोर से उठाऊंगा।

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