आर्थिक संकट में फंसी जेय एयरवेज के कर्मचारियों को 3-4 महीने की सैलरी नहीं मिली है। बच्चों की स्कूल फीस और लोन की किश्त भरना मुश्किल हो गया है। कुछ कर्मचारी अपने वाहन बेचकर और गहने गिरवी रखकर गुजारा करने को मजबूर हो गए हैं। मुश्किल में फंसे कर्मचारी गुरुवार को दिल्ली में जुटे और प्रधानमंत्री से मदद की शांतिपूर्ण गुहार लगाई। उन्होंने जेट के हालात के लिए सरकार और बैंकों को जिम्मेदार बताया है।
जेट ने अब स्टाफ को नौकरी पर आने के लिए मना करते हुए बच्चों के साथ समय बिताने का कह दिया है। जेट की एक महिला कर्चमारी ने कहा कि उसे दो माह से सैलरी नहीं मिली है। सीनियर ने उससे कहा है कि बच्चों के साथ क्वालिटी समय बिताइए। अपनी हॉबी आगे बढ़ाइए।
जेट के एक बोर्ड मेंबर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि 20 हजार कर्मचारियों की नौकरी अब कर्जदाताओं के भरोसे है। हमारे पास एक भी दिन की सैलरी देने के पैसे नहीं है। वहीं अंतरराष्ट्रीय एयरलाइन संगठन आईएटीए ने जेट की मेंबरशिप कैंसिल कर दी है। इससे यात्रियों को रिफंड में परेशानी आ सकती है।
जेट का संचालन बंद होने के अगले दिन (गुरुवार को) हजारों यात्री परेशान रहे। लोगों को फ्लाइट नहीं मिली, जिन्हें मिली उन्हें दोगुने से ज्यादा दाम पर टिकट मिला। एक यात्री का लंदन का टिकट 18 हजार में बुक था। नया टिकट 42 हजार रुपए का मिला।
सिविल एविएशन सेक्रेटरी प्रदीप सिंह खरोला ने एयरपोर्ट ऑपरेटर्स और दूसरी एयरलाइंस के साथ बैठकें कीं। किराया न बढ़ाने को कहा। बताया कि मुंबई में 280 और दिल्ली में 160 स्लॉट खाली हुए हैं। ये स्लॉट दूसरी विमान कंपनियों को जल्द ही दिए जाएंगे। शुरू में यह आवंटन 3 महीने के लिए होगा।
एविएशन रेग्युलेटर डीजीसीए ने कहा कि जेट से रिवाइवल प्लान मांगा जाएगा। उसने नियमों के दायरे में मदद का भरोसा दिया। वहीं, एअर इंडिया के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने एसबीआई को पत्र लिखकर जेट के 5 विमानों के संचालन में रुचि दिखाई। इसी बीच, गुरुवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल से इनकार कर दिया।