लिवर हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। स्वस्थ लिवर को अच्छी सेहत की निशानी कहना गलत नहीं होगा। हमारी बुरी आदतों जैसे ज्यादा तला-भुना खाना, एक्सरसाइज न करना, जरूरत से ज्यादा धूम्रपान करना और शराब पीना जैसी बुरी लत का लिवर पर बहुत असर पड़ता है। अधिक दबाव पड़ने पर लिवर सही तरीके से विषाक्त पदार्थों को बाहर नहीं निकाल पाता। लिवर की सेहत को दुरुस्त रखन में ये दो योगासन भी आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानें इनके बारे में
सुप्त मत्स्येन्द्रासन : सुप्त मत्स्येन्द्रासन लिवर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। साथ ही यह पीठ के निचले हिस्से, कूल्हों और रीढ़ की हड्डी में होने वाले दर्द से भी छुटकारा दिलाता है। आंतरिक अंगों की मालिश करता है और पेट की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
करने का तरीका : जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। दोनों हाथों को कंधों की सीध में फैला दें। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ें। इसे ऊपर की तरफ उठा लें और दाएं पैर को बाएं घुटने पर ले जाते हुए जमीन पर टिका लें। अब दाएं कूल्हे को उठाते हुए अपनी पीठ को बाईं तरफ मोड़ें। सिर को दाईं ओर घुमाएं। इस स्तिथि में जितनी देर रह सकते हैं रहें। यह पूरी तरह से सुप्त मत्स्येन्द्रासन की अवस्था है।
भुजंगासन : लिवर से गंदगी निकालने में यह रामबाण की तरह काम करता है। यह लिवर को हेल्दी रखने के साथ ही प्रदर, अनियमित मासिक धर्म और प्रजनन संबंधी समस्याओं को दूर करने में बहुत ही सहायक है। इसके अलावा यह स्लिप डिस्क का दर्द और पीठ से संबंधित हर तरह के दर्द को भी दूर करता है।
करने का तरीका : पेट के बल लेट जाएं। अब पैरों को सीधा करके लम्बा फैलाएं। सांस भरते हुए शरीर के अगले भाग को नाभि तक उठाएं। धीरे-धीरे सिर और कन्धों को जमीन से ऊपर उठाएं। सिर को जितना पीछे की ओर ले जा सकते हैं, ले जाएं। ध्यान रखें कि ज्यादा खिंचाव न आने पाए। कुछ देर इस अवस्था में रहने के बाद पहले वाली अवस्था में लौट आएं।
इन दोनों योगासनों का नियमित अभ्यास करने से आपका लीवर हेल्दी रहेगा। आपको लीवर से संबंधित किसी भी रोग के होने का खतरा भी काफी कम हो जाएगा।