मप्र में अलग-अलग वक्त में बिना बताए हो रही बिजली कटौती ने राज्य सरकार को सकते में डाल दिया है। इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि राज्य सरकार की ओर से कटौती के कोई निर्देश नहीं हैं और न ही एक अप्रैल से मेंटीनेंस के नाम पर बिजली कंपनियां शटडाउन ले रही हैं।
इसके बाद प्रदेश में कई जगह अघोषित बिजली काटी जा रही है। सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है और मैदानी अमले को साफ कर दिया है कि अब यदि कहीं से कटौती की शिकायत आती है तो पहले इंजीनियर और फिर कलेक्टर की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
इस बीच पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने उज्जैन संभाग के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर व प्रभारी आरजी भाव सार को निलंबित कर दिया है। काम में लापरवाही के कारण यह कार्रवाई की गई। मप्र में इस समय बिजली की उपलब्धता 20 हजार मेगावाट है। इसके मुकाबले आधी है। बिजली कंपनियों के आंकड़े बता रहे हैं कि पिछले साल इसी समय बिजली की खपत के मुकाबले इस साल 11 प्रतिशत अधिक बिजली की सप्लाई हो रही है। ट्रिपिंग भी आधी हो गई है।
चालू वर्ष में सर्वाधिक खपत 5 जनवरी 2019 को 14 हजार 89 मेगावाट आंकी गई। यह भी रबी सीजन की वजह से थी। डिमांड भी इसी सीजन में अक्टूबर से जनवरी तक रहती है। यह पीक सीजन निकल गया है। अब खपत 10 हजार मेगावाट से कम है। चुनाव के मद्देनजर एक अप्रैल से राज्य सरकार ने मेंटीनेंस के नाम पर शटडाउन लेना भी बंद दिया है। इसके बावजूद कई जगहों से बिजली की अघोषित कटौती की शिकायतें हैं।
सप्लाई का प्रोटोकाॅल
चाैबीस घंटे को 15 मिनट के 96 ब्लाॅक में बांटा गया है। पावर जनरेटिंग कंपनी हर 15 मिनट में प्रोडक्शन बताती हैं और वितरण कंपनी अपनी डिमांड बताती हैं। इसी आधार पर डिमांड और सप्लाई तय करके बिजली दी जाती है। उत्पादन ज्यादा और डिमांड कम हो तो महंगी बिजली लेना मप्र सरकार बंद कर देती है।
मैदानी हकीकत- अघोषित कटौती से परेशान ग्राहक
- रतलाम : रोज तीन से चार घंटे कटौती। 10 घंटे की बजाए 4 से 6 घंटे बिजली ही मिल रही। मेंटेनेंस के नाम पर कटौती का
- विदिशा : सिंचाई के लिए 5 घंटे और घरों में बिजली 12 घंटे मिल रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में 6 से 8 घंटे तक कटौती हो रही है।
- शिवपुरी – डेढ़ से दो घंटे की अघोषित बिजली कटौती। आंधी व बारिश के चलते यह कटौती 4 से 5 घंटे तक हो जाती है।
- समय बताते हैं तो उसके दो से चार घंटे बाद ही बिजली आती है।
- नीमच : मैंटेनेंस के नाम पर तीन घंटे रोज कटौती। मेंटेनेंस या अन्य किसी कारणवश 30 से 40 मिनट कटौती जरूर हो जाती है।
- ग्वालियर : ग्रामीण क्षेत्र में 24 घंटे की बजाय 20-21 घंटे मिल रही है। अघोषित कटौती की कोई सूूचना पूर्व में नहीं दी जाती है। ज्यादा कटौती सुबह और शाम के समय होती है।