श्रीलंका में चर्चों और होटलों को निशाना बनाकर किए गए आतंकी हमले में मरने वालों की संख्या बढ़कर 359 पहुंच गई है। रक्षा मंत्री रुवन विजयवर्धने ने बताया कि इसमें 39 विदेशी हैं। 17 विदेशियों के शव पहचान कर उनके परिवारों के पास भेजे जा चुके हैं। बाकी शवों की जांच अभी बाकी है। देशभर से अब तक 60 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इसी बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने माना है कि देश में हमलों की जानकारी का खुफिया इनपुट पहले से मौजूद था और अब सुरक्षा से जुड़े संस्थानों में शीर्ष स्तर पर बदलाव किया जाएगा।
श्रीलंका के सरकारी उपक्रमों के मंत्री लक्ष्मण किरिएल्ला ने सुरक्षा एजेंसियों पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कुछ शीर्ष खुफिया अधिकारियों ने भारत से मिली हमलों की खुफिया जानकारी जानबूझकर छिपाई। उन्होंने देश की सुरक्षा से जुड़े अफसरों पर भी कार्रवाई न करने का आरोप लगाया।
लक्ष्मण ने कहा, “भारतीय इंटेलिजेंस एजेंसियों ने 4 अप्रैल को चर्चों, होटलों और राजनेताओं पर आत्मघाती हमलों की चेतावनी दी थी। 7 अप्रैल को राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने सुरक्षा परिषद की बैठक भी की थी, लेकिन हमलों की जानकारी साझा नहीं की गई।” लक्ष्मण ने कहा कि सुरक्षा परिषद राजनीति से जुड़ गया है। इसकी जांच की जरूरत है।
हाल ही में न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने भी खुलासा किया था कि भारतीय अधिकारियों ने हमलों से दो घंटे पहले ही श्रीलंकाई अफसरों को चेतावनी दी थी। एक अन्य सूत्र ने बताया कि शनिवार को भी भारत ने चेतावनी दी थी। इसी तरह की चेतावनी 4 अप्रैल को भी भेजी गई थी। हालांकि, राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने ऐसी कोई भी जानकारी मिलने से इनकार किया।
विक्रमसिंघे ने संसद में बताया कि जांचकर्ताओं ने संदिग्धों को पहचानने में प्रगति की है। उन्होंने आशंका जताई थी कि यह न्यूजीलैंड की मस्जिदों में किए गए हमलों का बदला था। एक दिन पहले रक्षा मंत्री विजयवर्धने भी ऐसी ही आशंका जता चुके हैं।
श्रीलंका में हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ने ली है। आईएस की एजेंसी अमाक ने मंगलवार को एक प्रेस रिलीज जारी की है। आतंकी संगठन ने एक तस्वीर जारी कर दावा किया है कि आठ आतंकियों ने श्रीलंका में हमलों को अंजाम दिया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, श्रीलंका में बुर्का को बैन करने की तैयारी की जा रही है। जांच और पूछताछ के दौरान यह सामने आ रहा है कि रविवार को हुए हमले में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं। सूत्र के मुताबिक, सरकार मस्जिदों के अधिकारियों से विचार-विमर्श कर रही है। कुछ मंत्रियों ने भी इस संबंध में राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना से बात की है।