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अब प्रदेश के सरकारी स्कूलों को दिल्ली की तर्ज पर स्मार्ट बनाने की तैयारी..

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स्कूल शिक्षा विभाग प्रदेश के सरकारी स्कूलों को दिल्ली के सरकारी स्कूल की तर्ज पर स्मार्ट बनाने की तैयारी कर रहा है। प्रशासन ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों और प्राचार्यों को इसके लिए एक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं। बीते एक माह में दो बार दिल्ली के स्कूलों का विजिट कर चुकी ये टीम जल्द ही अपनी रिपोर्ट विभाग को सौंप देगी। इस रिपोर्ट के अाधार पर ही मप्र के स्कूलों में बदलाव के प्रयास किए जाएंगे।

गौरतलब है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में आए बदलाव की चर्चा पूरे देश में हो रही है और कई राज्यों की टीमें यहां के स्कूलों का विजिट कर चुकी है। विभाग की प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी राव ने डेढ़ माह पहले अधिकारियों को दिल्ली के स्कूलों का निरीक्षण कर एक रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद चार अधिकारियों की टीम दिल्ली गई थी।

इस टीम की रिपोर्ट के आधार पर सोमवार को 35 सदस्यीय एक और दल दिल्ली पहुंचा था। इस दल में 30 प्राचार्य और पांच शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल थे। इस टीम ने दो दिन में दिल्ली के 8 स्कूलों का विजिट किया है। इस विजिट के आधार पर अब एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसमें मप्र में शिक्षा की गुणवत्ता और स्कूलों की व्यवस्था सुधारने के लिए सुझाव दिए जाएंगे।

विजिट करके आए एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली में राज्य के कुल बजट का 26 प्रतिशत स्कूलों पर खर्च किया जा रहा है। दूसरी तरफ मप्र में स्कूल शिक्षा पर बजट का केवल 3 प्रतिशत खर्च होता है। ऐसे में गुणवत्ता में फर्क आना तो स्वाभाविक है। इसके अलावा दूसरी समस्या स्कूलों संख्या और आबादी की है। दिल्ली में स्कूलों की संख्या काफी कम है। दूसरी तरफ मप्र में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा स्कूल हैं। ऐसे में यहां व्यवस्थाओं को सुधारना काफी मुश्किल काम है।

एक हजार से अधिक सरकारी स्कूलों के शिक्षकों और प्राचार्यों को प्रशिक्षण के लिए सिंगापुर और फिनलैंड भेजा जा चुका है। अंग्रेजी में शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट के लिए ब्रिटिश काउंसिल के साथ करार किया है। 8 हजार से अधिक आधुनिक कक्षाओं का निर्माण कराया गया है। पुराने सभी स्कूलों की मरम्मत और रंग-रोगन करके आकर्षक बनाया गया है। स्कूलों में स्मार्ट क्लास, जिम, ग्राउंड, स्विमिंग पूल भी बनाए गए हैं।

शिक्षकों के प्रशिक्षण की विशेष व्यवस्था करेंगे। स्कूलों के पाठयक्रम और पढ़ाने के तरीके में बदलाव लाएंगे। सरकारी स्कूल की छवि बदलने के लिए प्रचार-प्रसार करेंगे। शिक्षकों और छात्रों की नियमित मॉनीटरिंग होगी। स्कूलों के रखरखाव और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधारेंगे

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