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पुलिस को शक एम्स स्टाफ के बिना कोई कैसे डॉक्टर बनकर घूूम सकता है….

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 एम्स में नौकरी लगवाने के नाम पर लोगों से लाखों रुपए ठगने वाले फर्जी डॉक्टर आनंद मिश्रा ने 8 साल पहले ही इस नाटक की पटकथा लिख ली थी। 12वीं पास करके वह उत्तर प्रदेश के गोंडा से बाहर निकल गया था। पहले मुंबई फिर कुछ दिन दिल्ली में रहा। उसने परिजनों को बताया था कि वह प्राइवेट कोचिंग से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी कर रहा है। कुछ साल बाद उसने एमबीबीएस के लिए सिलेक्शन होने की बात कही। दो साल पहले भोपाल आकर परिजनों को बताया कि एम्स में नौकरी मिल गई है।

यह जानकारी आनंद के दादाजी युगलशरण मिश्रा ने दी। उन्होंने बताया कि उनके 3 बेटे थे, जिनकी मौत हो चुकी है। बड़े बेटे के दो बेटे हैं आनंद और दीपक। एक बेटे की शादी नहीं हुई थी, जबकि तीसरे बेटे का बेटा अभी छोटा है। आनंद अपनी पीढ़ी में सबसे बड़ा है। पुलिस ने आनंद की गिरफ्तारी की सूचना आनंद के होने वाले साले प्रशांत को दी थी। जब परिजनों को पता चला तो उन्हें भरोसा नहीं हुआ। युगलशरण मिश्रा, आनंद का भाई दीपक, होने वाला साला प्रशांत समेत अन्य रिश्तेदार भोपाल आ गए। हालांकि, अभी तक उन्हें यह समझ नहीं आया है कि आखिर हकीकत क्या है?

आनंद करीब डेढ़ साल से सागर रॉयल विलास के डी ब्लॉक में फ्लैट नंबर 406 में किराए से रह रहा था। यह फ्लैट सरकारी स्कूल में टीचर राजेश चौहान का। उन्होंने ब्रोकर के माध्यम से मकान किराए से दिया था। तब आनंद ने खुद को एम्स के दवा स्टोर का प्रभारी बताया था। उसने फ्लैट के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगवा रखा था। चौहान ने बताया कि उसने पुलिस वेरिफिकेशन के लिए आधार कार्ड दिया था। जबकि, एम्स का आईडी प्रूफ मांगने पर बाद में देने की बात कही थी। सागर रॉयल विलास के रहवासियों को उसने बताया था कि वह एम्स के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट में पदस्थ है। कई बार एप्रिन पहनकर और स्टेथोस्कोप डालकर आता-जाता था।

बागसेवनियां थाना पुलिस ने शुक्रवार दोपहर आनंद को कोर्ट में पेशकर 8 दिन का रिमांड मांगा था। कोर्ट ने आनंद को पांच दिन की पुलिस रिमांड पर सौंपा है। अब पुलिस उससे पूछताछ करके यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि उसने आखिर ऐसा क्यों किया? अब तक वह कितने लोगों को ठग चुका है? क्या वाकई उसने एम्स में किसी की नौकरी लगवाई थी? कहीं इसमें एम्स का कोई डॉक्टर या कर्मचारी तो शामिल नहीं था?

अब तक की पूछताछ में आनंद ने 7 लोगों के नाम बताए हैं। सभी को उसने नौकरी लगवाने का झांसा दिया था। पुलिस इन लोगों से भी पूछताछ करेगी। पुलिस को आनंद के पास से 15 से ज्यादा फर्जी अपॉइंटमेंट लेटर मिले हैं।

एम्स प्रबंधन ने ओपीडी में आने वाले लोगों से पूछताछ करने और उनका रिकॉर्ड रखने की योजना तैयार की है। अब गेट पर एक रजिस्टर रखकर इसमें आने वालों की एंट्री की जाएगी। एम्स ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि आनंद यहां डॉक्टर की वेशभूषा में महीनों से घूम रहा था। वह यहां आने वाले मरीजों को इलाज में छोटी-मोटी मदद करके उनसे दोस्ती गांठता था। बाद में एम्स में नौकरी लगवाने के नाम पर उनसे लाखों रुपए ठग लेता था। आनंद ने घरवालों समेत सबको यही बताया था कि वह डॉक्टर है। एम्स के स्टाफ की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं कि वह इतने लंबे समय तक यहां डॉक्टर बनकर घूमता रहे। आनंद के मोबाइल की एक साल की कॉल डिटेल निकलवाई है। हम इसी लाइन पर जांच कर रहे हैं।

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